Friday, March 18, 2022

मुंह का स्वास्थ्य

 मुंह का स्वास्थ्य

मुंह और दांतों का स्वास्थ्य समाज में सभी के लिये सबसे महत्वपूर्ण है.ऐसी सभी तरह की संभावनाएं हैं कि स्वस्थ मुंह से जीवन स्वस्थ होता है.निम्नलिखित सलाह आपको मुंह के बढ़िया स्वास्थ्य की ओर अग्रसर करेगी.
★★★ मसूड़े- गुलाबी का अर्थ है स्वस्थ होना
आपके मसूड़े(जिंजिवे) आपके दांतों को घेरे रख कर उनको अपनी जगह पर जमाए रखते हैं.अपने मसूड़ों को स्वस्थ रखने के लिये मुख की सफाई अच्छी तरह करें—अपने दांतों को रोज दो बार ब्रश करें.दांतों को रोज एक बार फ्लॉस करें और नियमित रूप से अपने डेंटिस्ट के पास जाएं.यदि आपके मसूड़े लाल होकर फूल गए हों या उनसे खून निकलता हो,तो ऐसा संक्रमण के कारण हो सकता है.इसे मसूड़ों का शोथ(जिंजीवाइटिस) कहते हैं.इसके तुरंत उपचार से मुख वापस स्वस्थ हो सकता है.इलाज न करने पर मसूड़ों का शोथ गंभीर रोग में विकसित हो सकता है(पेरीओडाँटाइटिस) और आप अपने दांतों को खो सकते हैं.
★★★ मौखिक स्वास्थ्य के लिये ब्रश करना
1. मौखिक स्वास्थ्य साफ दांतों से शुरू होता है.ब्रश करने की इन मूल बातों को ध्यान में रखें.
2. अपने दांतों को कम से कम दो बार ब्रश करें.जब आप ब्रश करें तो जल्दबाजी न करें.अचछी सफाई के लिये इसे पर्याप्त समय दें.
3. अच्छे टूथपेस्ट और टूथब्रश का प्रयोग करें फ्लोराइड टूथपेस्ट और मुलायम ब्रिस्टल वाले टूथब्रश का प्रयोग करें.
4. अच्छी तकनीक का इस्तेमाल करें अपने टूथब्रश को अपने दांतों से हल्के कोण पर पकड़ें और आगे और पीछे करते हुए ब्रश करें.अपने दांतों की भीतरी और चबाने वाली सतहों और जीभ पर ब्रश करना न भूलें.तेजी से न रगड़े,वरना आपके मसूड़े क्षोभित हो सकते हैं.
5. टूथब्रश बदलना हर तीन से चार महीनों में नया टूथब्रश खरीदें –या उससे भी पहले यदि ब्रिस्टल फैल गए हों.

Florida woman guilty in nightclub shooting that killed 2


★★★ मुख के स्वास्थ्य के लिये सामान्य नुस्खे
1. हमेशा नरम ब्रिस्टल वाले टूथब्रश का प्रयोग करें.
2. भोजन के बाद कुल्ला करके सुंह को साफ कर लें.
3. दांतों के बीच फ्लॉस करके फंसे हुए खाद्य कणों को निकाल दें.
4. मुंह सूखने पर लार का प्रवाह बढ़ाने के लिये शक्कर रहित चुइंग गम खाएं.
5. लार का प्रवाह बढ़ाने और चबाने की पेशियों की कसरत के लिये कड़े नट खाएं.
6. शिशुओं को टूथपेस्ट मटर के आकार जितनी मात्रा में दें और उन्हें ब्रश करने के बाद पेस्ट को थूक देने के लिये प्रोत्साहित करें.
7. हमेशा बिना अल्कोहल वाले माउथवाश का प्रयोग करें क्यौंकि अल्कोहल युक्त माउथवाश से जीरास्टोमिया(शुष्क मुख) हो जाता है.
8. जिव्हा को साफ रखने के लिये टंग क्लीनर का प्रयोग करें.जिवाणू से संक्रमित जिव्हा से होने वाले रोगों का एक उदाहरण है, हैलिटोसिस.जिव्हा को टूथब्रश से भी साफ किया जा सकता है.
9. दांतों के गिर जाने पर डेंटल इम्प्लांट लगाए जा सकते हैं.इनसे क्राउनों या ब्रिजों को सहारा मिलेगा जिससे चेहरा अच्छा दिखेगा और गिरे हुए दांतों के रिक्त स्थानों की समस्या का यह एक हल है.
10. जिनके दांत घिस गए हों,वे विभिन्न तरह के एनहैंसमेंटों के बारे में सोच सकते हैं.क्राउनों से दांत को मूल आकार में लौटाने का प्रयत्न किया जा सकता है और इम्प्लांटों के लिये अनेक विकल्प उपलब्ध हैं.
11. अंत में, धूम्रपान मुख के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है,और दांतों को बदरंग बनाने के अलावा,धूम्रपान अन्य कई खतरनाक स्वास्थ्य समस्याओं का स्रोत हो सकता है.



दांतों का नाता

 दांतों का नाता सिर्फ खूबसूरती

★★★ दांतों का नाता सिर्फ खूबसूरती से नहीं होता , बल्कि इनके बिना जिंदगी बेहद मुश्किल हो जाती है। दिक्कत यह है कि हममें से ज्यादातर लोग दांतों की देखभाल को लेकर गंभीर नहीं होते।

अगर शुरू से ध्यान दिया जाए तो दांतों की बहुत सारी समस्याओं से बचा जा सकता है। दांतों से जुड़े तमाम पहलुओं पर एक्सर्पट्स से सलाह कर जानकारी दे रही हैं प्रियंका सिंह :

दुनिया में करीब 90 फीसदी लोगों को दांतों से जुड़ी कोई न कोई बीमारी या परेशानी होती है , लेकिन ज्यादातर लोग बहुत ज्यादा दिक्कत होने पर ही डेंटिस्ट के पास जाना पसंद करते हैं। इससे कई बार छोटी बीमारी सीरियस बन जाती है। अगर सही ढंग से साफ - सफाई के अलावा हर 6 महीने में रेग्युलर चेकअप कराते रहें तो दांतों की ज्यादातर बीमारियों को काफी हद तक सीरियस बनने रोका जा सकता है।

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Wednesday, March 16, 2022

इसलिए जरूरी है ब्रश करना

इसलिए जरूरी है ब्रश करना

★★★ सुबह बिस्तर छोड़ते ही हमारा सबसे पहला काम ब्रश करना ही होता है। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक दांतों की सफाई व ताजगी के लिए ब्रश करना हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है।
दांतों की रोज दिन में दो बार सफाई करना बेहद जरूरी है। दांतों की सफाई करने से सांसों की तकलीफ व मुंह की अन्‍य बीमारियां नहीं होतीं। इसके साथ ही एक हालिया शोध कहता है कि याद्दाश्‍त को दुरुस्‍त रखने में भी दांतों की सफाई जरूरी है।
हाल में किए एक शोध में बताया गया है कि वयस्कों द्वारा अपने दांतों की उचित देखभाल करना यानी नियमित रूप से ब्रश करना याददाश्त बनाए रखने में मददगार साबित होता है।



पहले के शोधों में भी दांतों की साफ-सफाई न रखने को डिमेंशिया (याददाश्त कम होना) समेत हृदयरोग, स्ट्रोक व डायबिटीज के लिए जिम्मेदार बताया गया था। न्यूयार्क के कोलंबिया कालेज के शोधकर्ताओं के मुताबिक मसूढ़ों की बीमारी मस्तिष्क की क्रियाविधि को प्रभावित करने के साथ पूरे शरीर में जलन पैदा करती है।
शोध में 60 साल व उससे ज्यादा उम्र के लोगों को शामिल किया गया। जिन लोगों में मसूढ़ों की बीमारी के लिए जिम्मेदार पैथोजन ज्यादा पाया गया उनमें याददाश्त संबंधी दिक्कतें देखी गईं। प्रमुख शोधकर्ता डा.जेम्स नोबल ने बताया, 'जिन लोगों में पैथोजन का उच्च स्तर पाया गया उनमें याददाश्त की गंभीर परेशानी देखी गई। शोध से साफ है कि दांतों-मसूढ़ों की उचित देखभाल न करने से डिमेंशिया का खतरा पैदा हो सकता है।'
'जर्नल आफ न्यूरोलाजी, न्यूरोसर्जरी एंड साइकाइट्री' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक करीब 2400 पुरुषों व महिलाओं पर किए गए शोध में दांतों की बीमारियों को याददाश्त पर प्रभाव डालने वाला पाया गया। दांतों की बीमारी से पीडि़त 5.7 फीसदी लोगों को याददाश्त की सामान्य समस्या देखी गई जबकि 6.5 फीसदी लोगों को री-काल (दोबारा याद करना) व 22.1 फीसदी लोगों में लगातार भूलने की परेशानी देखी गई।

दांतों में सड़न रोकने के लिए

  दांतों में सड़न रोकने के लिए
     
★★★ दांतों में सड़न रोकने के लिए लोहा से लोहे को काटने की नीति
1. बक्टीरिया उन्हीं रसायनों से खत्म होंगे, जिनसे उन्हें मिलता है पोषण

2. खास जीन्स का पता चला, जिनमें परिवर्तन कर ऐसा हो सकेगा संभव
★★★ न्यूयार्क, आईएएनएस :
1. लोहा ही लोहे को काटता है। यह पुरानी कहावत दांतों में सड़न (कैविटी) पैदा करने वाले जीवाणुओं पर भी अब लागू होगी। एक शोध से पता चला है कि जो बक्टीरिया दांतों में सड़न का कारण बनते हैं, वे अब उन्हीं रसायनों से नष्ट हो जाएंगे जिनसे उन्हें पोषण मिलता है।
2. अमेरिका के रोचेस्टर मेडिकल सेंटर के अनुसंधानकर्ताओं ने ऐसे जीन्स की खोज की है जो भोजन से निकलने वाले एसिड पर पलने वाले बैक्टीरिया को जीवित रहने में मदद करता है। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार इस जीन्स में फेरबदल कर बैक्टीरिया को उनके ही पोषण तंत्र से नष्ट किया जा सकता है।
3. कैविटी का कारण बनने वाले स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटंस (एस. म्यूटंस) शरीर से निकलने वाले एंजाइम 'बायोसिंथेस एम' की बदौलत फलते-फू लते हैं। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार इस एंजाइम की रोकथाम से एस. म्यूटंस बैक्टीरिया के विकास की क्षमता 10 हजार गुना कम हो जाती है।
4. प्रमुख अनुसंधानकर्ता रार्बट जी क्वीवे के अनुसार, 'हमारा सबसे पहला लक्ष्य दातों की सड़न के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को उसके ही एसिड से मारना है। उम्मीद है इसके बाद हमें ऐसे बैक्टीरिया से लड़ने में भी सफलता मिलेगी जिस पर एंटीबायोटिक का असर नहीं होता है।'
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और इस तरह कि रोचक जानकारी और healthy helpful ठीप्स के लिए blog को पसंद करें। अगर आप भी चाहते है कि आपके प्रिय परीजन स्वस्थ रहे तो कृपया अपने परीजनो के साथ shear करें।
धन्यबाद ☺।
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पायरिया क्या है ?

पायरिया क्या है ?

★★★ दांतों की सही तरीके से अगर देखभाल न की जाए तो पायरिया हो सकता है। दांतों को सेहत और सुंदरता का आईना माना जाता है। लेकिन, खाने के बाद मुंह की साफ-सफाई न करने से दांतों में कई प्रकार की बीमारियां शुरू हो जाती हैं। दांतों की साफ सफाई में कमी के कारण जो बीमारी सबसे जल्दी होती है वो है पायरिया। सांसों की बदबू, मसूड़ों में खून और दूसरी तरह की कई परेशानियां पायरिया के लक्षण हैं। दातों की साफ-सफाई न करने के कारण पायरिया एक सामान्य बीमारी बन गई है। पायरिया के कारण असमय दांत गिर सकते हैं।



★★★ पायरिया क्यों होता है

दरअसल मुंह में लगभग 700 किस्म के बैक्टीरिया होते हैं, जिनकी संख्या करोडों में होती है। यही बैक्टीरिया दांतों और मुंह को बीमारियों से बचाते हैं। अगर मुंह, दांत और जीभ की सफाई ठीक से न की जाए तो ये बैक्टीरिया दांतो और मसूडों को नुकसान पहुंचाते हैं। पायरिया होने पर दांतों को सपोर्ट करने वाली जबडे की हड्डियों को नुकसान होता है। पायरिया शरीर में कैल्शियम की कमी होने से मसूड़ों की खराबी और दांत-मुंह की साफ सफाई में कोताही बरतने से होता है। इस रोग में मसूड़े पिलपिले और खराब हो जाते हैं और उनसे खून आता है। सांसों की बदबू की वजह भी पायरिया को ही माना जाता है।

★★★ पायरिया के लक्षण

1. पायरिया होने पर सांसो में तेज दुर्गंध शुरू हो जाती है।

2. मसूडों में सूजन होने लगती है।  

3. दांत कमजोर होकर हिलने लगते हैं।

4. गर्म और ज्यादा ठंडा पानी पीने पर दांत संवेदनशील हो जाते हैं और लोग उसे बर्दास्त नही कर पाते हैं।

5. पायरिया होने पर मसूडों से मवाद आना शुरू हो जाता है।

6. मसूडों को दबाने में और छूने पर दर्द होता है।

7. पायरिया की शिकायत होने पर मसूडों से खून निकलने लगता है।

8. दो दांतों के बीच की जगह बढ जाती है, दांतों में गैप होने लगता है।  

9. पायरिया से बचने के लिए सावधानी

10. नीम की पत्‍तियों को धो कर छाया में सुखा लें और फिर उसे एक बत्रन में रख कर जला लें। जब पत्‍तियां जल जाएं तब बर्तन को ढंक दें और फिर कुछ देर के बाद राख में सेंधा नमक मिला लें। इस मिश्रण को शीशी में भर कर लख लें और चूर्ण बना कर तीन चार बार मंजन करें।

11. खाने के बाद मुंह की अंदरुनी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।

12. ब्रश करते समय दांतों को अच्छी तरह से और आराम से साफ करें।

13. टंग क्लीनर से जीभ को अच्छी तरह साफ करें।

14. दांतों की सफाई के लिए कठोर ब्रश की बजाय कोमल ब्रश का इस्तेमाल करें।

15. रात में डिनर करने के बाद सोने से पहले भी ब्रश करें।

16. ब्रश करते समय ध्यान रखिए कि खाने का कोई टुकडा दांतों के बीच फंसा तो नही है।

17. कुछ भी खाने के बाद अगर ब्रश नहीं कर सकते हैं तो पानी से दांतों की सफाई कर लेनी चाहिए।

18. अच्छे दांत सेहत और सुंदरता की निशानी होती है। इसलिए अपने दांतों का ख्याल जरूर रखें।


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