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Wednesday, March 16, 2022

प्रोटीन की कमी से बुढ़ापे में मसूड़ों की परेशानी

 प्रोटीन की कमी से बुढ़ापे में मसूड़ों की परेशानी


★★★ अगर आपके शरीर में प्रोटीन की कमी है तो आपको बुढापे में मसूडों की बीमारी हो सकती है। हालांकि मसूडों की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन प्रोटीन की कमी के कारण ज्यादातर मसूडों की समस्या बुढापे में ही होती है। यदि शरीर में डेल-1 प्रोटीन का स्तर कम है तो बुढापे में पेरियोडोंटाइटिस नामक मसूडों की बीमारी हो सकती हैं। इसमें मसूडों से खून निकलता है और दांतों के आसपास की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इस बीमारी में मुंह के कीटाणुओं के प्रति अवरोधक तंत्र ज्यादा सक्रिय हो जाता है।

★★★ शोध के अनुसार -

लंदन में हुए एक शोध के अनुसार पेरियोडोंटाइटिस एक सामान्य बीमारी है जो कि उम्र बढने के साथ होती है। लेकिन शरीर में डेल-1 प्रोटीन की कमी के कारण मसूडों की यह बीमारी होती है। डेल-1 प्रोटीन शरीर में प्रतिरोधक तंत्र को रोकने का काम करता है। यह प्रोटीन रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करता है। डेल-1 प्रोटीन श्वेत रक्त कोशिकाओं को मुंह के ऊतकों से चिपकने और मसूडों पर हमला करने से रोकता है। इसके अलावा डेल-1 प्रोटीन की कमी से हड्डियां भी कमजोर हो जाती हैं।

★★★ प्रोटीन की कमी से मसूडों की अन्य बीमारियां -

★★ पेरियोडोंटाइटिस

यह मसूडों की सबसे गंभीर बीमारी है जो कि 35 की उम्र के बाद लोगों को होती है। पेरियोडोंटाइटिस की समस्या ज्यादातर प्रोटीन की कमी के कारण भी होती है लेकिन, जिंजिवाइटिस का अगर उपचार न किया जाए तो यह गंभीर रूप लेकर पेरियोडोंटाइटिस में बदल जाती है। पेरियोडोंटाइटिस से पीड़ित व्यक्ति में मसूड़ों की अंदरूनी सतह और हड्डियां दांतों से दूर हो जाती हैं और दांतों के बीच ज्यादा गैप बन जाते हैं। दांतों और मसूड़ों के बीच स्थित इस छोटी-सी जगह में गंदगी इकट्ठी होने लगती है, जिससे मसूड़ों और दांतों में संक्रमण फैल जाता है। यदि ठीक से उपचार न किया जाए तो दांतों के चारों ओर मौजूद ऊतक नष्ट होने लगते हैं और दांत गिरने लगते हैं।

★★ जिंजिवाइटिस

यह मसूड़ों की सबसे आम समस्या है। इसमें मसूड़े सूखकर लाल हो जाते हैं और कमजोर पड़ जाते हैं। कई लोगों में दांतों के बीच में उभरा हुआ तिकोना क्षेत्र बन जाता है जिसे पेपीले कहते हैं। इसका मुख्य कारण सफेद रक्त कोशिकाओं का जमाव, बैक्टीरिया का संक्रमण और प्लॉंक हो सकता है। जिंजिवाइटिस से बचने के लिए जरूरी है कि मुंह की साफ-सफाई का खास ख्याल रखा जाए। यह प्रोटीन की कमी के कारण होता है।

★★ पायरिया

अगर ब्रश करने या खाना खाने के बाद मसूड़ों से खून बहता है तो यह पायरिया के लक्षण हैं। इसमें मसूड़ों के ऊतक सड़कर पीले पड़ने लगते हैं। इसका मुख्य कारण दांतों की ठीक से सफाई न करना है। गंदगी की वजह से दांतों के आसपास और मसूड़ों में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। पायरिया से बचने के लिए जरूरी है कि मुंह की सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए। कुछ भी खाने के बाद ब्रश करने की आदत डाल लीजिए।

मसूड़ों की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। लेकिन प्रोटीन की कमी से बुढापे में मसूडों की बीमारी का खतरा बढ जाता है। प्रोटीन की कमी से हर चार में से तीन लोग मसूड़ों की बीमारी से पीड़ित होते हैं। इससे बचने के लिए प्रतिदिन 1000 मिलीग्राम प्रोटीन और विटामिन का सेवन करना चाहिए हैं। मसूडों की समस्या से निपटने के लिए अपने चिकित्सक से संपर्क कीजिए।

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मसूड़ों की बीमारी

 मसूड़ों की बीमारी


★★★ जिंजीवाइटिस मसूड़ों क्‍ी सूजन होती है।यदि प्लेक् (एक चिपचिपा पदार्थ है जो लगातार गठन करता है जब कीटाणु मुँह में उपस्थित रहते है तो लार,खाद्य कणों,और दांतो की सतह पर अन्य प्राकृतिक पदार्थ के साथ जमा हो जाता है) रोजाना ब्रशिंग और फ्लोशिंग के द्वारा दूर नही होता है तब जिंजीवाइटिस होता है।प्लेक् दांतो पर जमा हो जाता है और गमलाइन के नीचे मसूड़ो के ऊतकों में परेशानी पैदा करता है और मसूड़ो का सूजन का कारण बनता है।

यह मसूड़ो में सूजन की प्रारंभिक अवस्था के रूप में होती है,इसका आसानी से उपचार किया जाता है।हड्डी और संयोजी ऊतक जो दांतो को पकड़े हुए होते है,इस अवस्था में भी प्रभावित नही होते है।अगर जिंजीवाइटिस का इलाज नही किया जाए तो यह प्रोडोन्टिटिस नामक बीमारी को बढा सकता है और दांत और जबड़े के स्थायी नुकसान का कारण बन सकता है।

★★★ क्या मुझे जिंजीवाइटिस है? -

1. जिंजीवाइटिस के विशिष्ट संकेत और लक्षण हैः
2. लाल होना,सूजन,टेन्डर गम जिससे ब्रश करने पर खून आ सकता है।
3. मसूड़े जो परावृत्त होते दिखाई देते है और दांतो से खिंच जाते है।जो दांतो को लम्बी उपस्थिति देते है।

मसूड़ो का रोग दांतो और मसूड़ो के बीच पॉकिटो के गठन को नेतृत्व करता है और प्लेक् और खाद्द अवशेष इन पॉकिटो में जमा हो सकते है।मसूड़ो का रोग खराब सांसो या मुँह के खराब स्वाद का कारण भी हो सकता है,भले ही रोग उन्नत नही है।

★★★ जिंजीवाइटिस को मै कैसे रोक सकता है? -

अगर आप एक अच्छी मौखिक स्वच्छता बनाए रखे तो जिंजीवाइटिस बहुत अधिकनिवारणीय है। जिंजीवाइटिस को दूर करने के लिए उपायः
1. रोजाना ब्रश करे और फ्लॉस दांतो के बीच और गमलाइन के नीचे से प्लेक् को अच्छी तरह से दूर करता है।और नियंत्रण के लिए टैटार का निर्माण करता है।
2. नियमित चिकित्सकीय जाँच केलिए जाएं।निवारक देखभाल मिलने वाली समस्याओं को दूर कर सकता है और मामूली समस्याओं के बढ जाने से नियंत्रित करता है।एक दंत चिकित्सक से क्लीनिंग कराना प्लेक् से बचने के लिए महत्वपूर्ण होता है जो टैटार में कठोर होते है।
3. संतुलित आहार लें।आपके आहार में कैल्सियम की अधिकता वाले खाद्द पदार्थ होने चाहिए,जैसे कि दूध और पनीर जो कैल्सियम के रूप में दांतो को मजबूत बनाते है।
4. धूम्रपानऔर तंबाकू के अन्य रूपोंसे बचें।

★★★ संकेत और लक्षण -

★★ यदि मुझे मसूड़ो का रोग है तो मै कैसे जान सकती हूँ?

मसूड़ो का रोग प्रायःवयस्कों में सबसेअधिक होता है,लेकिन यह बच्चों में भी हो सकता है।मसूढ़े की बीमारी का प्रारंभिक अवस्था में उपचार किया जा सकता है,जैसे हड्डी और संयोजी ऊतकजो उस जगह पर दांतो को पकड़े रहते है,इस अवस्था में प्रभावित नहीं होते है।

1. यदि आपको निम्नलिखित लक्षण है तो अपने दंत चिकित्सक सेपरामर्श करेः
2. लाल होना,फूलना या सूजन आ जाना।
3. ब्रशिंग और फॉलिशिंग करते हुए मसूड़ो से खून आना।
4. आपके दांतो का लम्बा दिखाई देना,क्योंकि आपके मसूड़े परावृत्त हो जाते है।
5. मसूड़ो का दांतो से अलग हुए या खिंचे हुए दिखाई देना।
6. अपनी बाइट को बदले(अर्थात बाइटिंग करने पर आपके दांतो का तरीका एक साथ उपयुक्त हो।
7. आपके दांतो और मसूड़ो के बीच पस हो।
8. यदि आपके मुँह में खराब सांसे और मुँह का स्वाद खराब हो।

★★★ गम डिजिज़ की अवस्था क्या होती है? -

जिंजीवाइटिस या गम रोग मसूड़ो की सूजन होती है।अगर इलाज उचित तरीके से नही किया जाता तो यह हड्डी को प्रभावित कर सकती है जो चारो ओर होती है और दांतो को सहारा प्रदान करती है।जिंजीवाइटिस प्लेक् का कारण होती है जो लगातार आपके मुँह में गठन करता है।यदि प्लेक् रोजाना की ब्रशिंग और फॉलिशिंग से दूर नही हो पाता तो यह बढ सकता है।बैक्टीरिया जो प्लेक् में उपस्थित होते है न केवल आपके दांतो और मसूड़ो को,बल्कि मसूड़ो के ऊतकोको और हड्डी को,जो दांतो को सहारा देता है,संक्रमित करते है और दांतो और जबड़े का स्थायी रूप से नुकसान का कारण बन सकती है।

★★★ गम डिजिज़ की तीन अवस्थाएं निम्नानुसार है -

जिंजीवाइटिसःयह मसूड़ो के रोग की प्रारंभिक अवस्था है।यह गमलाइन पर जमा हुए प्लेक् का कारण हो सकती है।बैक्टीरिया जो प्लेक् में मौजूद रहता है,टॉक्सिन(विष) उत्पन्न करता है,जो मसूड

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प्‍लेक की परिभाषा

प्‍लेक की परिभाषा

★★★ प्‍लेक एक चिपचिपा पदार्थ होता है, जो दांतों की सतह पर कई दिनों तक जमते रहने की वजह से कठोर रूप में पाया जाता है। प्‍लेक दन्त क्षय के साथ-साथ मसूड़ों को भी रोगग्रस्त कर देता है। ऐसे में अगर मसूड़ों का उचित ईलाज नहीं किया गया तो ये दांतों को सहारा देने वाले टिश्‍यूज़ को भी ख़राब करने लगते हैं, जो दांतों के लिए बहुत हीं नुकसानदेह है एवं इससे दांत झड़ने की नौबत भी आ सकती है।

★★★ क्या आप प्‍लेक को बढ़ने से रोक सकते हैं? -
जरूर! रोजाना 2 बार ब्रश एवं फ्लास किया करें। अगर आप दिन में सिर्फ एक बार ब्रश और फ्लास करते हैं तो रात को सोने से पहले किया करें। अपने डेंटिस्‍ट से मिलकर इस बात की पुष्टि करें कि प्‍लेक हटाने का जो तरीका आप अपना रहे हैं वो किस हद तक सही है।

★★★ प्‍लेक  निम्न चरणों से हटाया जाता है -

★★फलास:
रोजाना फ्लास किया करें। ऐसा करने से  आपके दांतों एवं मसूड़ों के उन भागों से भी बैक्‍टीरिया, खाद्य कणों एवं प्‍लेक की सफाई हो जाती है जहाँ तक आपका टूथब्रश नहीं पहुँचता। इसके पश्चात ठीक से कुल्ला करें।

★★ दांतों को ब्रश से साफ करना:
अपने दांतों को रोजाना 2 बार ( सुबह सोकर उठने के बाद एवं रात को सोने से पूर्व) बंशसे साफ़ किया करें. आपका ब्रश ऐसा होना चाहिए जिसके बिस्‍टल्‍स मुलायम हों वरना कठोर बिस्‍टल्‍स वाले ब्रश आपके मसूड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बेहतर होगा कि आप उसी टूथब्रश का इस्तेमाल करें जिसे इंडीयन डेंटल एसोसियेशन ने मंजूरी दी हो। बार-बार पानी से कुल्ला किया करें। उसी टूथपेस्‍ट का उपयोग करें जिसमें फ्लोराइड हो। फ्लोराइड आपके दांतों के enamel को मजबूत बनता है एवं दांत सड़ने या दन्त क्षय के खतरे से भी मुक्त रखता है।

★★ जीभ साफ रखें:
ब्रश करते समय ब्रश को अपने जीभ पर आगे-पीछे चलाते हुए जीभ की भी अच्छी तरह सफाई किया करें। जीभ साफ करने के दूसरे भी यन्त्र मिलते हैं, उनसे भी जीभ को साफ़ करें। जीभ साफ़ करने से ज्यादा से ज्यादा बैक्‍टीरिया का सफाया हो जाता है। जीभ साफ़ करने के बाद फिर से कुल्ला करें।

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Monday, February 28, 2022

"Reason" कारण

कारण

★★★ प्लेग की बीमारी "येरसीनिया पेस्टिस" नामक एक बैक्टीरिया के संक्रमण से होती है। अगर संक्रमण की शुरुआत में ही इलाज नहीं किया जाए तो ये बीमारी घातक भी साबित हो सकती है।

यह बिमारी चूहों के शरीर पर पलने वाले कीटाणुओं की वजह से भी फैलती है और ये अत्यंत संक्रामक होती है। प्लेग के मरीज की सांस और थूक के जरिए उनके संपर्क में आने वाले लोगों में भी प्लेग के बैक्टीरिया का संक्रमण हो सकता है। इसलिए प्लेग के मरीज का इलाज करते समय या उनके संपर्क में रहते समय एहतियात बरतने की आवश्यकता होती है।

★★★ कारण -

प्लेग येरसीनिया पेस्टिस नामक बैक्टेरिया के कारण होता है। इस रोग को कई नाम से जाना जाता है जैसे ताऊन, गोटी वाला ज्वर। इसके बैक्टेरिया सीलन वाले स्थानों, कूड़ा तथा सड़ी गली चीजों में पनपता है। यह रोग उन पदार्थों में भी फैलता है जिनमें से गंदी बदबू आती है तथा भाप निकलती है। इन किटाणुओं का हमला पहले-पहले चूहों के पिस्सुओं पर होता है और फिर यह बीमारी चूहों के द्वारा मनुष्यों को भी हो जाती है। जिन व्यक्तियों के शरीर में पहले से ही दूषित द्रव्य जमा रहता है उन व्यक्तियों को यह रोग जल्दी हो जाता है। यह दूषित द्रव्य नहीं होता है उन व्यक्तियों का ये कीटाणु कुछ भी नहीं बिगाड़ पाते हैं।
★★★ Reason -
Plague is caused by a bacterium called Yersinia pestis. This disease is known by many names such as taunt, gouty fever. Its bacteria thrive in damp places, garbage and rotten alleys. This disease also spreads in those substances, from which foul smell and steam is released. These germs first attack the fleas of rats and then the disease is transmitted to humans by rats. Those people who already have contaminated matter in their body, those people get this disease quickly. It is not a contaminated substance, these germs of those people are not able to spoil anything.

प्लेग के प्रकार

प्लेग के प्रकार


★★★ न्यूमॉनिक -
न्यूमोनिक प्लेग रोग जब किसी व्यक्ति को हो जाता है तो इसका हमला सबसे पहले फेफड़ों पर होता है और रोगी को कई प्रकार की समस्या शुरु हो जाती है।न्यूमोनिक प्लेग में लक्षणों के दिखने के दो या तीन बाद ही इसका पता लग जाता हैं। इसके लक्षणों को जानें

★★★ कफ
1. सांस लेने में तकलीफ
2. बुखार
3. सांस लेने में सीने में दर्द  

★★★ ब्यूबॉनिक -
जब किसी व्यक्ति को प्लेग रोग हो जाता है तो उसकी जांघो, गर्दन आगि अंगों की ग्रंथियों में दर्द के साथ सूजन हो जाती है। इस रोग के पीड़ित रोगी की गिल्टी एक के बाद दूसरी फिर तीसरी सूजती है और फिर फूटने लगती है और बुखार उतर जाता है तो उसे अच्छा समझना चाहिए नहीं तो इस रोग का परिणाम और भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। लेकिन कुछ समय में ये 7-10 दिनों के बाद फूटती है। यह प्लेग रोग ज्यादातर लोगों में होता है।  ब्यबोनिक प्लेग के लक्षण अचानक ही दिखाई देते हैं, सामानयत: दो से पांच दिन इस संक्रमण का पता लग जाता है। इसके लक्षणों को जानें:

1. लिम्फ़ ग्रंथियों में सूजन
2. बुख़ार
3. सांस लेने में कठिनाई
4. खांसी
5. ठंड लगना
6. सिर में दर्द
7. मांसपेशियों में दर्द
8. बीमार महसूस करना

★★★ सेप्टीसिमिक -
जब यह प्लेग किसी व्यक्ति का हो जाता है तो रोगी के शरीर के कई अंग सिकुड कर सड़ने लगते हैं और रोगी के शरीर का खून जहरीला हो जाता है। रोगी की शारीरिक क्रियाएं बंद हो जाती हैं। इस रोग को होने के कारण रोगी को बहुत अधिक परेशानी होती है। जब यह प्लेग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो वो दो या तीन दिन जीवित रहता है। सेपटीसिमिक प्लेग के लक्षणों के कारण रोगी की मौत भी हो सकती है। इसके लक्षणों इस प्रकार हैं।

1. पेट में दर्द
2. ब्लीडिंग
3. डायरिया
4. बुखार
5. उल्टी
6. मितली

★★★ इंटेस्टिनल -
इस रोग का प्रकोप रोगी की आंतो पर होता है। इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति का पेट फूलने लग जाता है और पेट और कमर में दर्द  होने लगता है और उसे दस्त भी होने लगते हैं। रोगी के शरीर में कमजोरी बढ़ जाती है।
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types of plague


★★★ Pneumonic -
When a person gets pneumonic plague disease, it first attacks the lungs and the patient starts suffering from many types of problems. Know its symptoms

★★★ Cuff
1. Shortness of breath
2. Fever
3. Chest pain while breathing


★★★ Bubonic -
When a person gets plague, his thighs, neck and glands of the organs swell with pain. The gland of the patient suffering from this disease swells one after the other and then the third one starts bursting and the fever subsides, then it should be considered good, otherwise the result of this disease can be even more dangerous. But sometime it bursts after 7-10 days. This plague disease occurs in most people. Symptoms of bubonic plague appear suddenly, usually two to five days after the infection is detected. Know its symptoms:

1. Swollen lymph glands
2. Fever
3. Difficulty in breathing
4. Cough
5. Chills
6. Headache
7. Muscle Aches
8. Feeling Sick


★★★ septicemic -
When this plague falls on a person, then many parts of the patient's body shrink and rot and the blood of the patient's body becomes poisonous. The physical activity of the patient stops. Due to this disease, the patient suffers a lot. When this plague hits a person, he lives for two or three days. The symptoms of septicemic plague can also result in the death of the patient. Its symptoms are as follows.

1. Abdominal pain
2. Bleeding
3. Diarrhea
4. Fever
5. Vomiting
6. Nausea


★★★ Intestinal -
The outbreak of this disease occurs on the intestines of the patient. Due to this disease, the patient starts bloating, pain starts in the stomach and waist and he also starts having diarrhea. Weakness increases in the patient's body.
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इलाज

 इलाज


★★★ प्लेग के लक्षण दिखने के तुरंत बाद रोगी को जरूरी इलाज दिया जाना चाहिए। अगर रोगी को 24 घंटे के अंदर जरूरी चिकित्सा नहीं दी जाए इसके लक्षण बढ़ते जाते हैं जिसकी वजह से रोगी की जान भी जा सकती है। प्लेग के रोगियों को स्ट्रेप्टोमाइसिन और टेट्रासायक्लाइन जैसी दवाइयों की सलाह दी जाती है। प्लेग से बचने के लिए टीका विकसित करने के लिए शोधकार्य जारी हैं लेकिन अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है। प्लेग रोग से बचने के लिए व्यक्तियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि जैसे ही घर में चूहें मर जाएं उसे घर से बाहर छोड़ देना चाहिए तथा जहां पर रह रहे हो उस जगह पर साफ-सफाई का ध्यान देना चाहिए।