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Monday, March 7, 2022

इतनी सी बात

 इतनी सी बात


बात बस इतनी सी है,
कि पहले तुम अच्छे लगते थे;
अब पसंद हो तुम मुझे। 
पहले तुम्हारी सिर्फ सुन लिया करता था,
कि अब सिर्फ तुम्हारी ही बातें  पसंद है। 
 पहले सोशलमीडिया को स्क्रोल करने में वक्त बिताया करता था,
अब वक्त तुम्हारी चैट स्क्रोल करने में ही निकल जाया करता है। 
तब तुम्हारा  कुछ वक्त साथ होना मुश्किल लगता था,
कि अब जिंदगी साथ बिताने का मन बना लिया है.
पहले अक्सर सफर में मिल जाया करते थे,
कि अब जिंदगी के सफर का हमसफर बन जाने का दिल करता है। 
कि बात बस इतनी सी है,
कि पहले तुम अच्छे लगते थे;
अब पसंद हो तुम मुझे।
कि बात बस इतनी सी है... 
🖋🖋🖋 दीपक राव 


Monday, February 28, 2022

क्या सोचते हो ?

  क्या सोचते हो ?

कोई रास्ता नहीं बचा ?
मंजिल खोने लगे हो ?
सपने धुंधले होते जा रहे है ?
एक बार फिर से सोचो अभी जो कर रहे हो  क्या सोच कर सुरु किया था ? इतना आसान समझा था क्या ?
नहीं हो रहा है ? छोड़ दो.
तुम से नहीं होगा। तुम इसी लायक हो। हाँ तुम इसी लायक हो, तुम्हारे बस की बात नहीं है। 
अगर खुद से किया वादा तक भी पूरा नहीं कर सकते तो इस लायक भी नहीं हो की कोई और तुम पर यकीन कर सके। 
पर ध्यान रखना उनकी दुआए तुम्हे जहन्नुम में भी चैन से जीने नहीं देंगी जिनको झुट्टी आस और अभी तक झुट्टी उम्मीदे दे रखी है।  एक बार पीछे मुड़ कर जरूर देखना। 
तुम्हारा बाप जिसने तुम्हे पाल - पोस कर चट्टान सा खड़ा किया।  एक माँ जिसकी हर दुआ ने सिर्फ तुम्हारी सलामती चाही। निःस्वार्थ तुम्हारी हर ख्वाइश पूरा किया।  आज  इस लायक भी नहीं हो की तुम उनसे नजरे मिला सको। .आज भी अपने बाप को देखना की सिर्फ तुम्हारे लिए इस अपनी ख़त्म हो रही जिंदगी के साथ भी काम कर रहे है।  सुन कर शर्म आरही है न ?
वो कहावत तो सुना होगा " जो करे शर्म उसके फूटे कर्म " तो अब उठ और उसे ख़त्म कर जिसको तूने सुरु किया था।  अभी कुछ भी नहीं बिगड़ा है।  लेकिन अगर आज भी कल पर टाल दिया फिर जीवन में कभी भी अपने आज को नहीं बचा पायेगा। 
जित मुबारक।