आयुर्वेदिक उपचार
★★★ बेल:
कान के रोग के उपचार के लिए बेल के पेड़ की जड़ को नीम के तेल में डुबोकर उसे जला दें और जो तेल इसमें से रिसेगा, वह सीधे कान में दाल दें। इससे कान के दर्द और संक्रमण में काफी हद तक राहत मिलती है।
नीम: नीम में एंटी-सेप्टिक गुण होते हैं, जो ऐसे तत्वों को ख़त्म करने के काबिल होते हैं जो कान में विकार पैदा करते हैं।
तुलसी: तुलसी का रस गुनगुना करके कान में डालने से भी कान के रोगों में काफी सहायता मिलती है।
नींबू: अदरक के रस में नींबू का रस मिलाएं और इसकी चार पांच बूँदें कान में डालें। आधे घंटे के बाद रुई से कान को साफ कर दें. फिर सरसों का तेल गुनगुना करके कान में डालने से आराम मिलेगा।
मेथी: को गाय के दूध में मिलाकर उसकी कुछ बूँदें संक्रमित कान डालने से भी काफी राहत मिलती है।
तिल: के तेल में तली हुई लौंग की कुछ बूँदें भी कान के दर्द में आराम पहुंचाती हैं।
अदरक: के रस और प्याज़ के रस के प्रयोग से भी कान के दर्द में काफी आराम मिलता है।
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नीम: नीम में एंटी-सेप्टिक गुण होते हैं, जो ऐसे तत्वों को ख़त्म करने के काबिल होते हैं जो कान में विकार पैदा करते हैं।
तुलसी: तुलसी का रस गुनगुना करके कान में डालने से भी कान के रोगों में काफी सहायता मिलती है।
नींबू: अदरक के रस में नींबू का रस मिलाएं और इसकी चार पांच बूँदें कान में डालें। आधे घंटे के बाद रुई से कान को साफ कर दें. फिर सरसों का तेल गुनगुना करके कान में डालने से आराम मिलेगा।
मेथी: को गाय के दूध में मिलाकर उसकी कुछ बूँदें संक्रमित कान डालने से भी काफी राहत मिलती है।
तिल: के तेल में तली हुई लौंग की कुछ बूँदें भी कान के दर्द में आराम पहुंचाती हैं।
अदरक: के रस और प्याज़ के रस के प्रयोग से भी कान के दर्द में काफी आराम मिलता है।
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