Wednesday, March 16, 2022

स्‍वस्‍थ दांतों के लिए

स्‍वस्‍थ दांतों के लिए

★★★ संपूर्ण स्वा‍स्‍थ्‍य के लिए आवश्यक हैं ‘स्वस्थ दांत’। दांत ना सिर्फ हमारे स्वा‍स्थ्ये को प्रभावित करते हैं, बल्कि हमारे लुक को भी प्रभावित करते हैं, इसलिए दांतों की समस्याओं को नज़रअंदाज़ ना करें।

दांतों की स्वच्छता का मतलब और तरीका हर किसी के लिए अलग होता है। हममें से अधिकतर लोग ब्रशिंग की कला बचपन में ही सीखते हैं और हैरानी की बात है कि ज्यादातर लोग ठीक प्रकार से ब्रश नहीं करते। चिकित्सकों की राय है कि प्रतिदिन ब्रश करने के बाद जीभ ज़रूर साफ करें।

गाजि़याबाद के संतोष डेंटल कालेज की प्रोफेसर डाक्टर बिनीता का कहना है कि दिन में कम से कम दो बार ब्रश करना चाहिए और ब्रश करने के बाद नमक पानी से कुल्ला  करना चाहिए या माउथवाश करना चाहिए।

ब्रशिंग के सही तरीके से अवगत होना दांतों की सुरक्षा का पहला कदम है। आइये दांतों से संबंधी तथ्यों पर प्रकाश डालें:

★★★ दांतों की सफाई:

ब्रश करने के लिए कोई मानक समय नहीं है। लेकिन ऐसी सलाह दी जाती है कि कम से कम दो मिनट तक ब्रश करें जिससे मुंह के अंदर की सतह से प्लेकक के बैक्टीरिया निकल जायें। इससे दांतों की क्षति से भी बचाव हो सकेगा।

★★★ कैसा हो आपका टूथब्रश:
अगर 6 महीनों तक ब्रश करने के बाद भी आपका ब्रश खराब नहीं हुआ है, तब भी नया ब्रश खरीदने में देरी ना करें। टूथब्रश अलग-अलग आकार, लम्बाई और गुणवत्ता के आते हैं। लेकिन डेंटिस्ट्स का ऐसा मानना है कि सही टूथब्रश की लम्बाई 25.5 से 31.9 मिलीमीटर होनी चाहिए और चौडा़ई 7.8 से 9.5 मिलीमीटर होनी चाहिए।

★★★ डेंटिस्ट से कब मिलें:

अगर आपके दांतों पर काले - भूरे धब्बे नजर रहे हैं, खाना दांतों में फंसने लगा है, ठंडा - गरम लग रहा है या मसूड़ों से पस आ रहा है, तो डेंटिस्ट़ से मिलने में देरी ना करें। निश्चित समयांतराल पर (डेंटिस्टं)दंत चिकित्सक से मिलें।


आपको यह जानकारी कैसी लगी कमेंट बॉक्स में बताएं

और इस तरह कि रोचक जानकारी और healthy helpful ठीप्स के लिए blog को पसंद करें। अगर आप भी चाहते है कि आपके प्रिय परीजन स्वस्थ रहे तो कृपया अपने परीजनो के साथ shear करें। ध्नयबाद ☺

डेब्राइडमेंट

डेब्राइडमेंट

★★★ डेब्राइडमेंट वह प्रक्रिया है जिसके तहत आपके दांतों से अतिरिक्त प्‍लेक और टारटार को निकाला जाता है डेब्राइडमेंट

डेब्राइडमेंट का प्रयोग किन पर किया जाता है

जिन लोगों के दांतों पर अतिरिक्त प्‍लेक एवं टारटार (कैलकलस) जम जाते हैं, उनके लिए डेब्राइडमेंट की प्रक्रिया जरूरी होती है।

कई मामलों में दांतों पर प्‍लेक और टारटार का जमाव इतना गाढ़ा हो जाता है कि डेंटिस्‍ट के लिए ठीक से दांत भी देख पाना मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में दांत की जांच एवं ईलाज से पूर्व डेब्राइडमेंट की प्रक्रिया के जरिए प्‍लेक और टारटार को हटाना जरूरी हो जाता है।

★★★ तैयारी

अगर आप दर्द बर्दाश्त नहीं कर सकते तो इस प्रक्रिया से पूर्व आपको लोकल एनेस्‍थीसिया (सुन्न/बेहोश करने की दावा) दी जा सकती है। कुछ लोगों को डिब्राइडमेंट की प्रक्रिया से पूर्व नाइट्रस आक्‍साइड इत्यादि जैसी बेहोशी की दवा की भी जरूरत पड़ती है। जो लोग दांत के ईलाज की प्रक्रिया से घबराते हैं, उनके लिए सुन्न करने की दवा या बेहोशी की दवा जरूरी हो जाती है।

★★★ यह कैसे किया जाता है

डेब्राइडमेंट  की प्रक्रिया में हाथ के उपकरण के साथ-साथ अल्‍ट्रासानिक यन्त्र का इस्तेमाल भी किया जाता है। इन यंत्रों के जरिए पानी एवं हाई फ्रिक्‍वेंसी आपरेशन का इस्तेमाल करके दांतों में से प्‍लेक और टारटार को हटाया जाता है।

★★★ नियमित रूप से ईलाज (फालो अप)

पेरियोडांटल ईलाज में डेब्राइडमेंट की प्रक्रिया पहले अपनाई जाती है। नियमित रूप से आप डेंटिस्‍ट के पास जाते रहें। ऐसा करने से वे आपके दाँतों की फिर से जांच कर सकेंगे और उसी अनुसार ईलाज करेंगे। तत्पश्चात स्‍केलिंग और रूट प्‍लानिंग या पेरियोडांटल सर्जरी जैसे उपचार किये जा सकते हैं।

★★★ खतरा

अगर आपके मसूड़े प्‍लेक से प्रभावित हैं या प्‍लेक के कारण  सूज गए हैं, तो डिब्राइडमेंट की प्रक्रिया करते समय उनमें से खून बह सकता है। डेब्राइडमेंट से उपचार के दौरान आपके दांत ठन्डे या गर्म खाने के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं। चूँकि आपके दांतों की  जड़ों  से प्‍लेक और टारटार हट जाता है इसलिए दांतों के जड़ जैसे हीं खाद्य पदार्थ के संपर्क में आतें हैं, आप दांतों में अजीब तरह की सनसनाहट महसूस करने लगते हैं।

डेब्राइडमेंट  से संक्रमण का भी खतरा बना रहता है।  लेकिन ऐसे मामले बहुत कम पाए जाते हैं।

★★★ अपने डेंटिस्‍ट से कब मिलें

1. अगर आपको निम्नलिखित कोई शिकायत हो तो डेंटिस्‍ट को दिखलायें
2. अगर लम्बे समय से खून रिस/बह रहा हो
3. अगर आपको महसूस होता हो कि आपके दांतों या मसूड़ों का कोई भाग संक्रामक हो गया है या
4. मुँह के किसी भी भाग में सूजन आ गई हो या किसी तरह का डिस्‍चार्ज हो रहा हो या
5. निचले जबड़े या गर्दन के लिम्फ नोड्स में जब सूजन आ गई हो
ये जानकारी आप को कैसी. लगी कृपया comment कर के बतायें।अगर आपके कोई सावल या सुझाव हो तो भी जरूर बताएं।

क्या जिंजिवाइटिस संक्रामक रोग है ?

 क्या जिंजिवाइटिस संक्रामक रोग है ?



1. जिंजिवाइटिस (मसूडों की सूजन) मसूडों की बीमारी है जो कि बैक्टिरियल इंफेक्शन के कारण होती है। यह एक संक्रामक रोग है। यह बीमारी किसिंग, खांसी, छींकने और कप और ग्लास से भोजन बांटने के जरिए होता है।


2. कुछ डाक्टर इसे संक्रामक मानते हैं, लेकिन कुछ इस बात को नकारते हैं। जिंजिवाइटिस के लिए कीटाणु जिम्मेदार होते हैं जो लार में पैदा होते और बढते हैं। जब कोई संक्रमित व्यक्ति किसी स्वस्‍थ व्यक्ति के साथ किसी प्रकार का खाना बांटता है तब लार के माध्यम से बैक्टीरिया स्वस्थ आदमी के अंदर प्रवेश करते हैं।

3. जिंजिवाइटिस किसिंग के द्वारा भी एक स्वस्थ व्यक्ति में प्रवेश कर सकता है। कुछ मामलों में कीटाणु दूसरे आदमी से हस्तांतरित हो सकते हैं, लेकिन यह इस बीमारी का मुख्य लक्षण नहीं है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आदमी की प्रतिरक्षा प्रणाली इन बैक्टीरिया को समाप्त कर देती है। जिंजिवाइटिस की समस्या किसी आदमी के शरीर की रक्षा तंत्र प्रणाली पर निर्भर करती है और यह भी वह कितनी बार संक्रमित लार के संपर्क में आया है।

4. मुंह की उचित तरीके से देखभाल करके जिंजिवाइटिस से बचाव किया जा सकता है। खाने के बाद नियमित रूप से ब्रश करने से मसूडे की सूजन से बचा जा सकता है। धूम्रपान करने वालों में धूम्रपान न करने वालों की तुलना में जिंजिवाइटिस होने का खतरा ज्यादा होता है। यदि जिंजिवाइटिस के कीटाणु धूम्रपान करने वालों में प्रवेश करते हैं तो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली इस बीमारी को बढने से नहीं रोकती है। तो उनके लिए, यह ज्यादा संक्रामक बीमारी है।  

5. जिंजिवाइटिस मसूडों के आसपास के ऊतकों और कोशिकाओं के मरने के कारण होता है। यह मसूडों में पहले प्लेक (मसूडों में मैल जमना) को उजागर करता है जो कि मसूडों को कमजोर और काला बनाते हैं और इसके कारण दांत गिर जाते हैं। जिंजिवाइटिस मसूडों की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है जिससे मसूडों की संवेदनशीलता बढ जाती है और दातों में संक्रमण बढते हैं।

6. जिंजिवाइटिस संक्रामक रोग है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि यदि कोई संक्रमित व्यक्ति को एक बार चूमे तो यह संक्रमण आदमी में प्रवेश करेगा। संक्रमण फैलने का खतरा व्यक्ति के स्वास्‍थ्‍य पर निभर्र करता है। यदि आदमी की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत है तब यह संक्रमण फैलने का खतरा कम होता है। लेकिन जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है उनमें यह संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है। कभी-कभी यह संक्रमण आदमी में अपने-आप हो जाता है। जिसका मतलब यह है कि आदमी खुद इस संक्रमण से प्रभावित नहीं है लेकिन बैक्टीरिया के फैलने का कारण बनता है।

7. मुंह की उचित तरीके से साफ सफाई रखकर जिंजिवाइटिस के खतरे से बचा जा सकता है। दांतों का नियमित चेकअप कराकर  इस संक्रमण से बचा जा सकता है। किसी दूसरे से खाना बांटने और किसिंग के बाद दांतों की उचित तरीके से सफाई और ब्रश करने से कोई भी इस संक्रमण के फैलने की संभावना को कम कर सकता है। यदि मसूडों में संक्रमण के कोई लक्षण दिखाई दें, जैसे – मसूडों से खून बहना या मसूडों में दर्द होना, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कीजिए। दांतों की तुरंत देखभाल करके इस संक्रमण को प्रारंभिक स्टेज में ही रोका जा सकता है।

......... ये जानकारी आप को कैसी. लगी कृपया comment कर के बतायें।अगर आपके कोई सावल या सुझाव हो तो भी जरूर बताएं।

डेंटल एंज़ाइटी और फोबिया क्या है

डेंटल एंज़ाइटी और फोबिया क्या है

★★★ कुछ लोग दांतों की जांच के लिए डर की वजह से दंत चिकित्सक के पास नहीं जाते, जबकि अधिकतर दंत प्रक्रिया में दर्द नहीं होता। हालांकि दांतों की जांच के दौरान लोगों को थोड़ा कष्ट हो सकता है। दंत चिकित्सक के पास जाने की चिंता या कष्ट ठीक है। लेकिन अगर आपकी दंत समस्या गंभीर है तो बिना किसी डेंटल अपोइनमेंट को टाले दांतों की जांच के लिए जाना चाहिए यह सामान्य नहीं हो सकता। एक इंसान जिसे डेंटल फोबिया है, वह डेंटल जांच को जाने को टालने के लिए कुछ भी कर सकता है, जैसे मसूड़ों में संक्रमण के दौरान दर्द को सहन कराना आदि।

डेंटल एंक्सेटी और फोबिया दोनों ही बहुत ज्यादा समान है लेकिन वास्तव में दोनों एक नहीं हैं। कई बार जिन लोगों को डेंटल फोबिया होता है वो कभी भी डॉक्टर के पास नहीं जा सकते हैं।  जिसको डेंटल एंक्सेटी और फोबिया है, उनको मसूड़ों और दांतों के रोग होने की ज्यादा खतरा हो सकता है। समय से पहले दांतों का गिरना, गंदे और खराब दांत, मुंह की कम सफाई इंसान को आत्म सचेत और असुरक्षित बना सकती है। डेंटल एंक्सेटी और फोबिया दोनों का ही अन्य मानसिक विकार की तरह बहुत ज्यादा ट्रिटमेंट कराना पड़ता है।

★★★ डेंटल एंज़ाइटी और फोबिया के कारण

1. डेंटल एंक्सेटी और फोबिया के कई कारण है लेकिन उनमें कुछ कारण समान हैं।
2. दर्द का डर विशेषकर किसी दर्दभरे अनुभव के बाद
3. डेंटल चेयर पर उपचार के दौरान हेल्पलेस महसूस करना और नियंत्रण खो देना।
4. खुले मुंह में व्याकुलता, विशेषकर जब दांतों की सफाई कम हो और अगर कोई व्यक्ति अपने दांतों की उपस्थिती के बारे में सचेत है।

★★★ लक्षण

इसके कोई विशेष लक्षण नहीं है जो फोबिया को सामान्य एंक्सेटी से अलग करते हैं। आमतौर पर दांतों की चेकअप डर से भरी हुई नहीं होनी चाहिए। अगर आपको यह है तो आपको डेंटल एंक्सेटी या फोबिया हो सकता है। डेंटल फोबिया के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं-
1. दांतो की जांच के बिना आपकों रात में सोने से दिक्कत होती हो
2. आप डॉक्टर के वेटिंग रूम में चिंतित या घबराएं हुए हैं।
3. दांतों की जांच के लिए जाना आपको बिमार कर देती है।
4. दांतों की जांच के दौरान दर्द होना और अचानक आपको सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।

★★★ ट्रिटमेंट और कोपिंग के तरिके

1. अपने दंत चिकित्सक से वार्तालाप उस दंत चिकित्सक के पास जांए जिससे आपको सहज महसुस होता हो, जो आपकी बात सुनता हो, जो आपकी बातों को समझे और जो आपको प्रयाप्त समय दें। अपने डॉक्टर को अपने कंसर्न और डर के बारे में बताएँ। अधिकतर दंत प्रक्रियांए बिना किसी दर्द के संपन्न हो सकती हैं।
2. अगर आप अपने उपचार के लिए अपने दंत चिकित्सक से सक्रिय रूप से प्लानिंग कर रहे है तो यह आपको कम चिंता महसूस करने और कंट्रोंल फील करने में सहायता करेगा।
3. प्रक्रिया को समझना चाहिए और और अगर ट्रिटमेंट एक बैठक में अधिक बैठकों की बजाय हो सकती हैं। यह पता करें कि प्रक्रिया के दौरान हर एक स्टेज पर क्या होगा, जो कि अपने आपको उसके लिए तैयार करने में सहायता होगी और तुम्हें किसी प्रकार का आश्चर्य नहीं होगा।
4. अगर आप दर्द को लेकर चिंतित हैं तो अपने दंत चिकित्सक को बोले, कई प्रकार कि दर्द निवारक मौजूद हैं और जो कि आपके लिए बेहतर होगा।
5. अपनी एंक्सेटी को कम करने के लिए ट्रिटमेंट के दौरान अपने डॉक्टर से पुछों की ट्रिटमेंट की हर एक स्टेज के दौरान क्या होगा।
आप अपने दंत चिकित्सक से ट्रिटमेंट कुछ देर के लिए रोकने के लिए कह सकते हैं अगर आपको ज्यादा डर लग रहा है। कभी भी किसी प्रकार से डॉक्टर से अपने किसी डर के बारे में डिसक्श करने में ना हिचकिचायें। अगर आपका डॉक्टर आपका अच्छे से ध्यान रखता है तो डॉक्टर आपकी समस्या को अच्छे तरीके से समझ सकेगा।

★★★ व्याकुलता

आप अपनी चिंता को दंत प्रक्रिया के दौरान कम करने की कोशिश कर सकते हैं किसी विशेष प्रकार की चीज में व्यस्त होकर जो आपको ज्यादा अच्छा लगे जैसे म्यूजिक सुनना और टिवी देखना।

★★★ दर्द नियंत्रण

दर्द का डर विशेषकर किसी दर्दभरे अनुभव के बाद एंक्सेटी या फोबिया के लिए एक मेजर कारण हो सकता है। आज के समय में कई इलाज और तकनीक हैं जो कि दर्द को किसी विशेष प्रकार के प्रक्रिया के दौरान कम कर सकती हैं। अगर आप दर्द को लेकर चिंतित हैं तो आप अपने दंत चिकित्सक से

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स्‍वस्‍थ मसूड़ों के लिए खतरा है धूम्रपान

स्‍वस्‍थ मसूड़ों के लिए खतरा है धूम्रपान


★★★ धूम्रपान : मसूड़ों के लिए बहुत हीं खतरनाक -
क्या आपको  पता है की जब भी आप सिगरेट  पीने के लिए माचिस की तीली या लाइटर  जलाते हैं तो यह आपके मसूड़ों को कितना नुकसान पहुंचाता है?  सिगरेट या सिगार पीना मसूड़ों, मुँह, गले एवं दाँतों के लिए बहुत हीं खतरनाक है एवं इससे कैंसर होने का पूरा खतरा रहता है।  लेकिन अगर आप शराब भी  पीते हैं  और सिगरेट  भी तो आपको मुँह या गले का कैंसर (मौखिक कैंसर) होने की  पूरी संभावना है।  

मौखिक कैंसर के अंतर्गत होंठों का (खासकर निचले होंठ  का ) कैंसर, गाल के अंदरूनी भाग का कैंसर,  गले के भीतर का कैंसर या टोंसिल्स का कैंसर शामिल हैं। स्त्रियों के मुकाबले पुरुषों में  मुख का कैंसर ज्यादातर पाया जाता है।  मुख के कैंसर का निदान बड़े मुश्किल से होता है।  ज्यादातर लोग मुख के कैंसर के बारे में जागरूक नहीं रहते न हीं शुरूआती  समय में उन्हें इसके लक्षण का  पता चलता है और जब तक उन्हें कुछ  पाता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।  अगर इसके प्रारंभिक अवस्था में इसके निदान के बारे में कुछ नहीं किया गया तो फिर सर्जरी या विकिरण चिकित्सा या रसायन चिकित्सा की जरूरत पड़ सकती है।

★★★ धुंआ बिलकुल नहीं फिर भी खतरा खूब -
क्या आपको  पता है की तम्बाकू  के प्रयोग से मुख का कैंसर होता है? सिगरेट या सिगार पीने से मौखिक कैंसर का खतरा तो होता हीं है, तम्बाकू  खाने या चबाने से भी मुँह का खतरा बहुत हीं रहता है।

तम्बाकू   चबाने (खाने) वाले अगर यह समझते हैं की वे धुआं  नहीं खीचते  हैं इसलिए उनको सिगरेट पीने वालों जितना खतरा नहीं है तो वे गलत सोचते हैं। तम्बाकू   में धुआं भले नहीं होता है लेकिन इससे मुँह के कैंसर का खतरा औरों से ५० गुना ज्यादा होता है। इसलिए सिगरेट या सिगार पीना या तम्बाकू  खाना या किसी तरह का तम्बाकू   सूंघना  छोड़िये  ताकि आप कैंसर जैसी   खतरनाक  बीमारी से बच सकें। अगर किसी व्यक्ति को कई सालों से तम्बाकू   चबाने की लत है और वह इस आदत को छोड़ देता है तो कुछ सालों में उसे कैंसर होने का खतरा काफी घट जाता है। शराब और तम्बाकू   दोनों के हीं प्रयोग से कैंसर हो सकता है।

★★★ मौखिक कैंसर: संकेत एवं लक्षण -
ज्यादातर  लोग या तो मुख कैंसर के संकेतों को समझ नहीं पाते या फिर वे सब कुछ समझते हुए भी कैंसर के लक्षणों की उपेक्षा करते हैं। इसलिए ऐसे कैंसर तब पकड़ में आते हैं जब वे उग्र रूप धारण कर चुके होते हैं। भले हीं आपको कैंसर के लक्षणों की जानकारी हो फिर भी कई बार आप इसे प्रारंभिक अवस्था में पकड़ नहीं पाते। इसलिए अगर आप तम्बाकू   चबाते हैं तो आपकी भलाई इसी में है की अपने दन्त चिकित्सक या डॉक्टर से नियमित रूप से मिलते रहें और अपने मुख एवं दांतों की जांच करवाते रहें।

★★★ आपके डॉक्टर कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों को पकड़ सकते हैं। -
1. यदि आप निम्नलिखित किसी भी लक्षण को देखें तो तुरंत  अपने  दंत चिकित्सक से परामर्श लें
2. मसूड़ों, होंठ या गाल पर कोई घाव या पैच या गांठ दिखे जो ठीक होने का नाम हीं न ले रहा हो या जीभ से खून बहता हो
3. मुँह में सनसनी या सुन्नता हो
4. भोजन निगलने में या चबाने पर दर्द या कठिनाई होती हो
5. आपके गले में किसी  गाँठ के होने कि अनुभूति  हो लेकिन उसके कारण का कुछ  पता न चल पा रहा हो
6. जबड़ों में किसी तरह का सूजन हो जिसकी वजह से देन्चर्स ठीक से फिट नहीं हो पा रहे हों
7. आपकी आवाज बदल गई हो या स्वर बैठ गया हो
8. तीन ऐसे कारण जिनकी  वजह से आप डेंटिस्ट से अवश्य  मिलें
9. अगर आपको यह बताया गया है कि आपको मौखिक कैंसर है तो इलाज शुरू होने के दो सप्ताह पहले अपने दांतों का पूरी तरह चेक अप करवा लें।
10. आप अपने डेंटिस्ट को अपनी समस्या के बारे में बताएं तथा अपने उस डॉक्टर का फोन नम्बर दे दें जिसके पास आपके मुख के कैंसर का इलाज चल रहा है ताकि दोनों डॉक्टर एक दूसरे से फोन पर आपकी समस्या और प्रोग्रेस पर बात करके आपका उचित इलाज कर सकें।