Saturday, December 22, 2018

हल्के में मत लीजिए मसूड़ों की बीमारी को

हल्के में मत लीजिए मसूड़ों की बीमारी को


★★★ मसूड़े और दांतों की बीमारी को अगर आप गंभीरता से नहीं लेते हैं तो अपनी आदत बदल डालिए। यह अनदेखी कैंसर जैसी गंभीर समस्या का सबब भी बन सकती है। यह दावा लंदन के इम्पीरियल कालेज में 50 हजार लोगों के स्वास्थ्य रिकार्ड के अध्ययन के आधार पर भी किया जा चुका है।

★★★ क्या हैं मसूड़ों की बीमारी

मसूड़ों की बीमारी एक तरह का इन्फेक्शन होती हैं जो दांतों के नीचे हड्डियों तक फैल जाता है। ये एक आम समस्या है, जिसकी बजह से दांत निकल या टूट जाते हैं। मसूड़ों की बीमारी की दो चरण होतो हैं। अगर पहले चरण में ही इसका पता चल जाए तो इससे होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। मसूड़ों की बीमारी के पहले चरण को जिन्जीवाइटिस भी कहते हैं। गर्भवती महिलाओं को हल्की जिन्जीवाइटिस की समस्या होना बड़ी आम बात है। इसलिए उन्हें अपनी सेहत व दांतों का विशेष ध्यान रखने के जरूरत होती है।

★★★ जिन्जीवाइटिस के लक्षण

1. मसूड़ों का लाल होना
2. सूजन और दर्द
3. ब्रश करते समय मसूड़ों से खून आना
4. मसूड़ों का दांतों के ऊपर निकल जाना
5. सांस से बदबू आना

मसूड़ों की बीमारी का दूरसा चरण थोड़ा गंभीर होती है। इसके लक्षणों में मसूड़ों और दांतों में मवाद पैदा हो जाना, दांत गिरना, दांतों व मसूड़ों के बीच बहुत अंतर (गैप) हो जाना व खाते समय दांतों की स्थिति में बदलाव आना आदि शामिल होते हैं।

★★★ पायरिया

अगर ब्रश करते समय या खाना खाने के बाद मसूड़ों से खून आए तो यह पायरिया ये के लक्षण होते हैं। पायरिया में मसूड़ों के ऊतक सड़कर पीले पड़ने लगते हैं। इस समस्या का मुख्य कारण दांतों की ठीक से सफाई न करना होता है। गंदगी की वजह से दांतों के आसपास और मसूड़ों में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। इससे बचने के लिए मुंह की सफाई का विशेष ध्यान रखाना चाहिए।

★★★ पीरियोडोंटिस

जिन्जीवाइटिस का उपचार नहीं किया जाए तो यह गंभीर रूप लेकर पीरियोडोंटिस में बदल जाता है। पीरियोडोंटिस से पीड़ित व्यक्ति में मसूड़ों की अंदरूनी सतह और हड्डियां दांतों से दूर हो जाती हैं और अनमें पॉकेट बन जाते हैं। जिस कारण दांतों और मसूड़ों के बीच मौजूद इस छोटी-सी जगह में गंदगी इकट्ठी होने लगती है और मसूड़ों और दांतों में संक्रमण फैल जाता है। यदि ठीक से उपचार न किया जाए तो दांतों के चारों ओर मौजूद ऊतक नष्ट हो जाते हैं और दांत गिरने लगते हैं।

★★★ क्या कहते हैं अध्ययन

लंदन के इम्पीरियल कालेज में हुए एक अध्ययन में अध्ययन कर्ताओं ने पाया कि मसूड़े की बीमारी फेफड़े, किडनी, खून और पैनक्रियाज के कैंसर का खतरा बढ़ा देती है। शोधकर्ताओं के अनुसार मसूड़ों की बीमारी का लगातार बने रहना प्रतिरक्षा प्रणाली के कमजोर होने का संकेत हो सकता है। इसके कमजोर होने से शरीर में कैंसर फैलने का मौका मिल जाता है। यह रिपोर्ट 'लैनसेट आनकोलाजी' जर्नल में प्रकाशित हुई थी।

इस अध्ययन में पाया गया कि वे लोग जिन्हें मसूड़े की बीमारी थी, उनमें कैंसर होने का खतरा उन लोगों के मुकाबले 14 प्रतिशत अधिक था जिन्हें मसूड़े की बीमारी नहीं थी। मसूड़े की बीमारी से ग्रस्त लोगों में फेफड़े और किडनी का कैंसर होने का खतरा 50 प्रतिशत अधिक पाया गया। इन लोगों में पैनक्रियाज के कैंसर होने का खतरा भी इतना ही अधिक था। ल्यूकेमिया जैसी ब्लड सेल के कैंसर का खतरा मसूड़ों की बीमारी वालों को 30 प्रतिशत अधिक था।

शोधकर्ताओं के मुताबिक यह भी हो सकता है कि मसूड़े की बीमारी से संबंधित बैक्टिरिया जब फैलते हैं तो मुंह या गले का कैंसर हो जाता है। लेकिन  इसका मतलब यह नहीं है कि मसूड़े की बीमारी के बाद कैंसर से बचाव का इलाज शुरू कर देना चाहिए। इसकी जगह लोगों को दांत के डाक्टर से संपर्क करना चाहिए।

★★★ मसूड़ों की बीमारी का इलाज

अगर मसूड़ों की बीमारी के पहले चरण का कोई भी लक्षण दिखे तो दांतों को ठीक से ब्रश व फ्लॉस करें, और तुरंत डेन्टिस्ट के पास जाएं। क्योंकि जल्दी इलाज शुरू कराने से इस समस्या से निपटा जा सकता है। नहीं तो आपके दांत गिर सकते है और उन्हें निकालना पड़ सकता है। इसलिए तुरंत इलाज शुरू करवाएं। मसूड़ों की बीमारी गंभीर समस्या है। ऐसे में आपका डॉक्टर आपको पेरिओडोंटिस्ट (गम डिसीज़ स्पेशलिस्ट) के पास भी भेज सकता है।

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