क्या सोचते हो ?
कोई रास्ता नहीं बचा ?मंजिल खोने लगे हो ?
सपने धुंधले होते जा रहे है ?
एक बार फिर से सोचो अभी जो कर रहे हो क्या सोच कर सुरु किया था ? इतना आसान समझा था क्या ?
नहीं हो रहा है ? छोड़ दो.
तुम से नहीं होगा। तुम इसी लायक हो। हाँ तुम इसी लायक हो, तुम्हारे बस की बात नहीं है।
अगर खुद से किया वादा तक भी पूरा नहीं कर सकते तो इस लायक भी नहीं हो की कोई और तुम पर यकीन कर सके।
पर ध्यान रखना उनकी दुआए तुम्हे जहन्नुम में भी चैन से जीने नहीं देंगी जिनको झुट्टी आस और अभी तक झुट्टी उम्मीदे दे रखी है। एक बार पीछे मुड़ कर जरूर देखना।
तुम्हारा बाप जिसने तुम्हे पाल - पोस कर चट्टान सा खड़ा किया। एक माँ जिसकी हर दुआ ने सिर्फ तुम्हारी सलामती चाही। निःस्वार्थ तुम्हारी हर ख्वाइश पूरा किया। आज इस लायक भी नहीं हो की तुम उनसे नजरे मिला सको। .आज भी अपने बाप को देखना की सिर्फ तुम्हारे लिए इस अपनी ख़त्म हो रही जिंदगी के साथ भी काम कर रहे है। सुन कर शर्म आरही है न ?
वो कहावत तो सुना होगा " जो करे शर्म उसके फूटे कर्म " तो अब उठ और उसे ख़त्म कर जिसको तूने सुरु किया था। अभी कुछ भी नहीं बिगड़ा है। लेकिन अगर आज भी कल पर टाल दिया फिर जीवन में कभी भी अपने आज को नहीं बचा पायेगा।
जित मुबारक।
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