Friday, March 18, 2022

मुंह का स्वास्थ्य

 मुंह का स्वास्थ्य

मुंह और दांतों का स्वास्थ्य समाज में सभी के लिये सबसे महत्वपूर्ण है.ऐसी सभी तरह की संभावनाएं हैं कि स्वस्थ मुंह से जीवन स्वस्थ होता है.निम्नलिखित सलाह आपको मुंह के बढ़िया स्वास्थ्य की ओर अग्रसर करेगी.
★★★ मसूड़े- गुलाबी का अर्थ है स्वस्थ होना
आपके मसूड़े(जिंजिवे) आपके दांतों को घेरे रख कर उनको अपनी जगह पर जमाए रखते हैं.अपने मसूड़ों को स्वस्थ रखने के लिये मुख की सफाई अच्छी तरह करें—अपने दांतों को रोज दो बार ब्रश करें.दांतों को रोज एक बार फ्लॉस करें और नियमित रूप से अपने डेंटिस्ट के पास जाएं.यदि आपके मसूड़े लाल होकर फूल गए हों या उनसे खून निकलता हो,तो ऐसा संक्रमण के कारण हो सकता है.इसे मसूड़ों का शोथ(जिंजीवाइटिस) कहते हैं.इसके तुरंत उपचार से मुख वापस स्वस्थ हो सकता है.इलाज न करने पर मसूड़ों का शोथ गंभीर रोग में विकसित हो सकता है(पेरीओडाँटाइटिस) और आप अपने दांतों को खो सकते हैं.
★★★ मौखिक स्वास्थ्य के लिये ब्रश करना
1. मौखिक स्वास्थ्य साफ दांतों से शुरू होता है.ब्रश करने की इन मूल बातों को ध्यान में रखें.
2. अपने दांतों को कम से कम दो बार ब्रश करें.जब आप ब्रश करें तो जल्दबाजी न करें.अचछी सफाई के लिये इसे पर्याप्त समय दें.
3. अच्छे टूथपेस्ट और टूथब्रश का प्रयोग करें फ्लोराइड टूथपेस्ट और मुलायम ब्रिस्टल वाले टूथब्रश का प्रयोग करें.
4. अच्छी तकनीक का इस्तेमाल करें अपने टूथब्रश को अपने दांतों से हल्के कोण पर पकड़ें और आगे और पीछे करते हुए ब्रश करें.अपने दांतों की भीतरी और चबाने वाली सतहों और जीभ पर ब्रश करना न भूलें.तेजी से न रगड़े,वरना आपके मसूड़े क्षोभित हो सकते हैं.
5. टूथब्रश बदलना हर तीन से चार महीनों में नया टूथब्रश खरीदें –या उससे भी पहले यदि ब्रिस्टल फैल गए हों.

Florida woman guilty in nightclub shooting that killed 2


★★★ मुख के स्वास्थ्य के लिये सामान्य नुस्खे
1. हमेशा नरम ब्रिस्टल वाले टूथब्रश का प्रयोग करें.
2. भोजन के बाद कुल्ला करके सुंह को साफ कर लें.
3. दांतों के बीच फ्लॉस करके फंसे हुए खाद्य कणों को निकाल दें.
4. मुंह सूखने पर लार का प्रवाह बढ़ाने के लिये शक्कर रहित चुइंग गम खाएं.
5. लार का प्रवाह बढ़ाने और चबाने की पेशियों की कसरत के लिये कड़े नट खाएं.
6. शिशुओं को टूथपेस्ट मटर के आकार जितनी मात्रा में दें और उन्हें ब्रश करने के बाद पेस्ट को थूक देने के लिये प्रोत्साहित करें.
7. हमेशा बिना अल्कोहल वाले माउथवाश का प्रयोग करें क्यौंकि अल्कोहल युक्त माउथवाश से जीरास्टोमिया(शुष्क मुख) हो जाता है.
8. जिव्हा को साफ रखने के लिये टंग क्लीनर का प्रयोग करें.जिवाणू से संक्रमित जिव्हा से होने वाले रोगों का एक उदाहरण है, हैलिटोसिस.जिव्हा को टूथब्रश से भी साफ किया जा सकता है.
9. दांतों के गिर जाने पर डेंटल इम्प्लांट लगाए जा सकते हैं.इनसे क्राउनों या ब्रिजों को सहारा मिलेगा जिससे चेहरा अच्छा दिखेगा और गिरे हुए दांतों के रिक्त स्थानों की समस्या का यह एक हल है.
10. जिनके दांत घिस गए हों,वे विभिन्न तरह के एनहैंसमेंटों के बारे में सोच सकते हैं.क्राउनों से दांत को मूल आकार में लौटाने का प्रयत्न किया जा सकता है और इम्प्लांटों के लिये अनेक विकल्प उपलब्ध हैं.
11. अंत में, धूम्रपान मुख के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है,और दांतों को बदरंग बनाने के अलावा,धूम्रपान अन्य कई खतरनाक स्वास्थ्य समस्याओं का स्रोत हो सकता है.



दांतों का नाता

 दांतों का नाता सिर्फ खूबसूरती

★★★ दांतों का नाता सिर्फ खूबसूरती से नहीं होता , बल्कि इनके बिना जिंदगी बेहद मुश्किल हो जाती है। दिक्कत यह है कि हममें से ज्यादातर लोग दांतों की देखभाल को लेकर गंभीर नहीं होते।

अगर शुरू से ध्यान दिया जाए तो दांतों की बहुत सारी समस्याओं से बचा जा सकता है। दांतों से जुड़े तमाम पहलुओं पर एक्सर्पट्स से सलाह कर जानकारी दे रही हैं प्रियंका सिंह :

दुनिया में करीब 90 फीसदी लोगों को दांतों से जुड़ी कोई न कोई बीमारी या परेशानी होती है , लेकिन ज्यादातर लोग बहुत ज्यादा दिक्कत होने पर ही डेंटिस्ट के पास जाना पसंद करते हैं। इससे कई बार छोटी बीमारी सीरियस बन जाती है। अगर सही ढंग से साफ - सफाई के अलावा हर 6 महीने में रेग्युलर चेकअप कराते रहें तो दांतों की ज्यादातर बीमारियों को काफी हद तक सीरियस बनने रोका जा सकता है।

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Wednesday, March 16, 2022

इसलिए जरूरी है ब्रश करना

इसलिए जरूरी है ब्रश करना

★★★ सुबह बिस्तर छोड़ते ही हमारा सबसे पहला काम ब्रश करना ही होता है। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक दांतों की सफाई व ताजगी के लिए ब्रश करना हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है।
दांतों की रोज दिन में दो बार सफाई करना बेहद जरूरी है। दांतों की सफाई करने से सांसों की तकलीफ व मुंह की अन्‍य बीमारियां नहीं होतीं। इसके साथ ही एक हालिया शोध कहता है कि याद्दाश्‍त को दुरुस्‍त रखने में भी दांतों की सफाई जरूरी है।
हाल में किए एक शोध में बताया गया है कि वयस्कों द्वारा अपने दांतों की उचित देखभाल करना यानी नियमित रूप से ब्रश करना याददाश्त बनाए रखने में मददगार साबित होता है।



पहले के शोधों में भी दांतों की साफ-सफाई न रखने को डिमेंशिया (याददाश्त कम होना) समेत हृदयरोग, स्ट्रोक व डायबिटीज के लिए जिम्मेदार बताया गया था। न्यूयार्क के कोलंबिया कालेज के शोधकर्ताओं के मुताबिक मसूढ़ों की बीमारी मस्तिष्क की क्रियाविधि को प्रभावित करने के साथ पूरे शरीर में जलन पैदा करती है।
शोध में 60 साल व उससे ज्यादा उम्र के लोगों को शामिल किया गया। जिन लोगों में मसूढ़ों की बीमारी के लिए जिम्मेदार पैथोजन ज्यादा पाया गया उनमें याददाश्त संबंधी दिक्कतें देखी गईं। प्रमुख शोधकर्ता डा.जेम्स नोबल ने बताया, 'जिन लोगों में पैथोजन का उच्च स्तर पाया गया उनमें याददाश्त की गंभीर परेशानी देखी गई। शोध से साफ है कि दांतों-मसूढ़ों की उचित देखभाल न करने से डिमेंशिया का खतरा पैदा हो सकता है।'
'जर्नल आफ न्यूरोलाजी, न्यूरोसर्जरी एंड साइकाइट्री' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक करीब 2400 पुरुषों व महिलाओं पर किए गए शोध में दांतों की बीमारियों को याददाश्त पर प्रभाव डालने वाला पाया गया। दांतों की बीमारी से पीडि़त 5.7 फीसदी लोगों को याददाश्त की सामान्य समस्या देखी गई जबकि 6.5 फीसदी लोगों को री-काल (दोबारा याद करना) व 22.1 फीसदी लोगों में लगातार भूलने की परेशानी देखी गई।

दांतों में सड़न रोकने के लिए

  दांतों में सड़न रोकने के लिए
     
★★★ दांतों में सड़न रोकने के लिए लोहा से लोहे को काटने की नीति
1. बक्टीरिया उन्हीं रसायनों से खत्म होंगे, जिनसे उन्हें मिलता है पोषण

2. खास जीन्स का पता चला, जिनमें परिवर्तन कर ऐसा हो सकेगा संभव
★★★ न्यूयार्क, आईएएनएस :
1. लोहा ही लोहे को काटता है। यह पुरानी कहावत दांतों में सड़न (कैविटी) पैदा करने वाले जीवाणुओं पर भी अब लागू होगी। एक शोध से पता चला है कि जो बक्टीरिया दांतों में सड़न का कारण बनते हैं, वे अब उन्हीं रसायनों से नष्ट हो जाएंगे जिनसे उन्हें पोषण मिलता है।
2. अमेरिका के रोचेस्टर मेडिकल सेंटर के अनुसंधानकर्ताओं ने ऐसे जीन्स की खोज की है जो भोजन से निकलने वाले एसिड पर पलने वाले बैक्टीरिया को जीवित रहने में मदद करता है। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार इस जीन्स में फेरबदल कर बैक्टीरिया को उनके ही पोषण तंत्र से नष्ट किया जा सकता है।
3. कैविटी का कारण बनने वाले स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटंस (एस. म्यूटंस) शरीर से निकलने वाले एंजाइम 'बायोसिंथेस एम' की बदौलत फलते-फू लते हैं। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार इस एंजाइम की रोकथाम से एस. म्यूटंस बैक्टीरिया के विकास की क्षमता 10 हजार गुना कम हो जाती है।
4. प्रमुख अनुसंधानकर्ता रार्बट जी क्वीवे के अनुसार, 'हमारा सबसे पहला लक्ष्य दातों की सड़न के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को उसके ही एसिड से मारना है। उम्मीद है इसके बाद हमें ऐसे बैक्टीरिया से लड़ने में भी सफलता मिलेगी जिस पर एंटीबायोटिक का असर नहीं होता है।'
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धन्यबाद ☺।
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पायरिया क्या है ?

पायरिया क्या है ?

★★★ दांतों की सही तरीके से अगर देखभाल न की जाए तो पायरिया हो सकता है। दांतों को सेहत और सुंदरता का आईना माना जाता है। लेकिन, खाने के बाद मुंह की साफ-सफाई न करने से दांतों में कई प्रकार की बीमारियां शुरू हो जाती हैं। दांतों की साफ सफाई में कमी के कारण जो बीमारी सबसे जल्दी होती है वो है पायरिया। सांसों की बदबू, मसूड़ों में खून और दूसरी तरह की कई परेशानियां पायरिया के लक्षण हैं। दातों की साफ-सफाई न करने के कारण पायरिया एक सामान्य बीमारी बन गई है। पायरिया के कारण असमय दांत गिर सकते हैं।



★★★ पायरिया क्यों होता है

दरअसल मुंह में लगभग 700 किस्म के बैक्टीरिया होते हैं, जिनकी संख्या करोडों में होती है। यही बैक्टीरिया दांतों और मुंह को बीमारियों से बचाते हैं। अगर मुंह, दांत और जीभ की सफाई ठीक से न की जाए तो ये बैक्टीरिया दांतो और मसूडों को नुकसान पहुंचाते हैं। पायरिया होने पर दांतों को सपोर्ट करने वाली जबडे की हड्डियों को नुकसान होता है। पायरिया शरीर में कैल्शियम की कमी होने से मसूड़ों की खराबी और दांत-मुंह की साफ सफाई में कोताही बरतने से होता है। इस रोग में मसूड़े पिलपिले और खराब हो जाते हैं और उनसे खून आता है। सांसों की बदबू की वजह भी पायरिया को ही माना जाता है।

★★★ पायरिया के लक्षण

1. पायरिया होने पर सांसो में तेज दुर्गंध शुरू हो जाती है।

2. मसूडों में सूजन होने लगती है।  

3. दांत कमजोर होकर हिलने लगते हैं।

4. गर्म और ज्यादा ठंडा पानी पीने पर दांत संवेदनशील हो जाते हैं और लोग उसे बर्दास्त नही कर पाते हैं।

5. पायरिया होने पर मसूडों से मवाद आना शुरू हो जाता है।

6. मसूडों को दबाने में और छूने पर दर्द होता है।

7. पायरिया की शिकायत होने पर मसूडों से खून निकलने लगता है।

8. दो दांतों के बीच की जगह बढ जाती है, दांतों में गैप होने लगता है।  

9. पायरिया से बचने के लिए सावधानी

10. नीम की पत्‍तियों को धो कर छाया में सुखा लें और फिर उसे एक बत्रन में रख कर जला लें। जब पत्‍तियां जल जाएं तब बर्तन को ढंक दें और फिर कुछ देर के बाद राख में सेंधा नमक मिला लें। इस मिश्रण को शीशी में भर कर लख लें और चूर्ण बना कर तीन चार बार मंजन करें।

11. खाने के बाद मुंह की अंदरुनी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।

12. ब्रश करते समय दांतों को अच्छी तरह से और आराम से साफ करें।

13. टंग क्लीनर से जीभ को अच्छी तरह साफ करें।

14. दांतों की सफाई के लिए कठोर ब्रश की बजाय कोमल ब्रश का इस्तेमाल करें।

15. रात में डिनर करने के बाद सोने से पहले भी ब्रश करें।

16. ब्रश करते समय ध्यान रखिए कि खाने का कोई टुकडा दांतों के बीच फंसा तो नही है।

17. कुछ भी खाने के बाद अगर ब्रश नहीं कर सकते हैं तो पानी से दांतों की सफाई कर लेनी चाहिए।

18. अच्छे दांत सेहत और सुंदरता की निशानी होती है। इसलिए अपने दांतों का ख्याल जरूर रखें।


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और इस तरह कि रोचक जानकारी और healthy helpful ठीप्स के लिए blog को पसंद करें। अगर आप भी चाहते है कि आपके प्रिय परीजन स्वस्थ रहे तो कृपया अपने परीजनो के साथ shear करें। ध्नयबाद ☺

स्‍वस्‍थ दांतों के लिए

स्‍वस्‍थ दांतों के लिए

★★★ संपूर्ण स्वा‍स्‍थ्‍य के लिए आवश्यक हैं ‘स्वस्थ दांत’। दांत ना सिर्फ हमारे स्वा‍स्थ्ये को प्रभावित करते हैं, बल्कि हमारे लुक को भी प्रभावित करते हैं, इसलिए दांतों की समस्याओं को नज़रअंदाज़ ना करें।

दांतों की स्वच्छता का मतलब और तरीका हर किसी के लिए अलग होता है। हममें से अधिकतर लोग ब्रशिंग की कला बचपन में ही सीखते हैं और हैरानी की बात है कि ज्यादातर लोग ठीक प्रकार से ब्रश नहीं करते। चिकित्सकों की राय है कि प्रतिदिन ब्रश करने के बाद जीभ ज़रूर साफ करें।

गाजि़याबाद के संतोष डेंटल कालेज की प्रोफेसर डाक्टर बिनीता का कहना है कि दिन में कम से कम दो बार ब्रश करना चाहिए और ब्रश करने के बाद नमक पानी से कुल्ला  करना चाहिए या माउथवाश करना चाहिए।

ब्रशिंग के सही तरीके से अवगत होना दांतों की सुरक्षा का पहला कदम है। आइये दांतों से संबंधी तथ्यों पर प्रकाश डालें:

★★★ दांतों की सफाई:

ब्रश करने के लिए कोई मानक समय नहीं है। लेकिन ऐसी सलाह दी जाती है कि कम से कम दो मिनट तक ब्रश करें जिससे मुंह के अंदर की सतह से प्लेकक के बैक्टीरिया निकल जायें। इससे दांतों की क्षति से भी बचाव हो सकेगा।

★★★ कैसा हो आपका टूथब्रश:
अगर 6 महीनों तक ब्रश करने के बाद भी आपका ब्रश खराब नहीं हुआ है, तब भी नया ब्रश खरीदने में देरी ना करें। टूथब्रश अलग-अलग आकार, लम्बाई और गुणवत्ता के आते हैं। लेकिन डेंटिस्ट्स का ऐसा मानना है कि सही टूथब्रश की लम्बाई 25.5 से 31.9 मिलीमीटर होनी चाहिए और चौडा़ई 7.8 से 9.5 मिलीमीटर होनी चाहिए।

★★★ डेंटिस्ट से कब मिलें:

अगर आपके दांतों पर काले - भूरे धब्बे नजर रहे हैं, खाना दांतों में फंसने लगा है, ठंडा - गरम लग रहा है या मसूड़ों से पस आ रहा है, तो डेंटिस्ट़ से मिलने में देरी ना करें। निश्चित समयांतराल पर (डेंटिस्टं)दंत चिकित्सक से मिलें।


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डेब्राइडमेंट

डेब्राइडमेंट

★★★ डेब्राइडमेंट वह प्रक्रिया है जिसके तहत आपके दांतों से अतिरिक्त प्‍लेक और टारटार को निकाला जाता है डेब्राइडमेंट

डेब्राइडमेंट का प्रयोग किन पर किया जाता है

जिन लोगों के दांतों पर अतिरिक्त प्‍लेक एवं टारटार (कैलकलस) जम जाते हैं, उनके लिए डेब्राइडमेंट की प्रक्रिया जरूरी होती है।

कई मामलों में दांतों पर प्‍लेक और टारटार का जमाव इतना गाढ़ा हो जाता है कि डेंटिस्‍ट के लिए ठीक से दांत भी देख पाना मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में दांत की जांच एवं ईलाज से पूर्व डेब्राइडमेंट की प्रक्रिया के जरिए प्‍लेक और टारटार को हटाना जरूरी हो जाता है।

★★★ तैयारी

अगर आप दर्द बर्दाश्त नहीं कर सकते तो इस प्रक्रिया से पूर्व आपको लोकल एनेस्‍थीसिया (सुन्न/बेहोश करने की दावा) दी जा सकती है। कुछ लोगों को डिब्राइडमेंट की प्रक्रिया से पूर्व नाइट्रस आक्‍साइड इत्यादि जैसी बेहोशी की दवा की भी जरूरत पड़ती है। जो लोग दांत के ईलाज की प्रक्रिया से घबराते हैं, उनके लिए सुन्न करने की दवा या बेहोशी की दवा जरूरी हो जाती है।

★★★ यह कैसे किया जाता है

डेब्राइडमेंट  की प्रक्रिया में हाथ के उपकरण के साथ-साथ अल्‍ट्रासानिक यन्त्र का इस्तेमाल भी किया जाता है। इन यंत्रों के जरिए पानी एवं हाई फ्रिक्‍वेंसी आपरेशन का इस्तेमाल करके दांतों में से प्‍लेक और टारटार को हटाया जाता है।

★★★ नियमित रूप से ईलाज (फालो अप)

पेरियोडांटल ईलाज में डेब्राइडमेंट की प्रक्रिया पहले अपनाई जाती है। नियमित रूप से आप डेंटिस्‍ट के पास जाते रहें। ऐसा करने से वे आपके दाँतों की फिर से जांच कर सकेंगे और उसी अनुसार ईलाज करेंगे। तत्पश्चात स्‍केलिंग और रूट प्‍लानिंग या पेरियोडांटल सर्जरी जैसे उपचार किये जा सकते हैं।

★★★ खतरा

अगर आपके मसूड़े प्‍लेक से प्रभावित हैं या प्‍लेक के कारण  सूज गए हैं, तो डिब्राइडमेंट की प्रक्रिया करते समय उनमें से खून बह सकता है। डेब्राइडमेंट से उपचार के दौरान आपके दांत ठन्डे या गर्म खाने के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं। चूँकि आपके दांतों की  जड़ों  से प्‍लेक और टारटार हट जाता है इसलिए दांतों के जड़ जैसे हीं खाद्य पदार्थ के संपर्क में आतें हैं, आप दांतों में अजीब तरह की सनसनाहट महसूस करने लगते हैं।

डेब्राइडमेंट  से संक्रमण का भी खतरा बना रहता है।  लेकिन ऐसे मामले बहुत कम पाए जाते हैं।

★★★ अपने डेंटिस्‍ट से कब मिलें

1. अगर आपको निम्नलिखित कोई शिकायत हो तो डेंटिस्‍ट को दिखलायें
2. अगर लम्बे समय से खून रिस/बह रहा हो
3. अगर आपको महसूस होता हो कि आपके दांतों या मसूड़ों का कोई भाग संक्रामक हो गया है या
4. मुँह के किसी भी भाग में सूजन आ गई हो या किसी तरह का डिस्‍चार्ज हो रहा हो या
5. निचले जबड़े या गर्दन के लिम्फ नोड्स में जब सूजन आ गई हो
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क्या जिंजिवाइटिस संक्रामक रोग है ?

 क्या जिंजिवाइटिस संक्रामक रोग है ?



1. जिंजिवाइटिस (मसूडों की सूजन) मसूडों की बीमारी है जो कि बैक्टिरियल इंफेक्शन के कारण होती है। यह एक संक्रामक रोग है। यह बीमारी किसिंग, खांसी, छींकने और कप और ग्लास से भोजन बांटने के जरिए होता है।


2. कुछ डाक्टर इसे संक्रामक मानते हैं, लेकिन कुछ इस बात को नकारते हैं। जिंजिवाइटिस के लिए कीटाणु जिम्मेदार होते हैं जो लार में पैदा होते और बढते हैं। जब कोई संक्रमित व्यक्ति किसी स्वस्‍थ व्यक्ति के साथ किसी प्रकार का खाना बांटता है तब लार के माध्यम से बैक्टीरिया स्वस्थ आदमी के अंदर प्रवेश करते हैं।

3. जिंजिवाइटिस किसिंग के द्वारा भी एक स्वस्थ व्यक्ति में प्रवेश कर सकता है। कुछ मामलों में कीटाणु दूसरे आदमी से हस्तांतरित हो सकते हैं, लेकिन यह इस बीमारी का मुख्य लक्षण नहीं है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आदमी की प्रतिरक्षा प्रणाली इन बैक्टीरिया को समाप्त कर देती है। जिंजिवाइटिस की समस्या किसी आदमी के शरीर की रक्षा तंत्र प्रणाली पर निर्भर करती है और यह भी वह कितनी बार संक्रमित लार के संपर्क में आया है।

4. मुंह की उचित तरीके से देखभाल करके जिंजिवाइटिस से बचाव किया जा सकता है। खाने के बाद नियमित रूप से ब्रश करने से मसूडे की सूजन से बचा जा सकता है। धूम्रपान करने वालों में धूम्रपान न करने वालों की तुलना में जिंजिवाइटिस होने का खतरा ज्यादा होता है। यदि जिंजिवाइटिस के कीटाणु धूम्रपान करने वालों में प्रवेश करते हैं तो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली इस बीमारी को बढने से नहीं रोकती है। तो उनके लिए, यह ज्यादा संक्रामक बीमारी है।  

5. जिंजिवाइटिस मसूडों के आसपास के ऊतकों और कोशिकाओं के मरने के कारण होता है। यह मसूडों में पहले प्लेक (मसूडों में मैल जमना) को उजागर करता है जो कि मसूडों को कमजोर और काला बनाते हैं और इसके कारण दांत गिर जाते हैं। जिंजिवाइटिस मसूडों की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है जिससे मसूडों की संवेदनशीलता बढ जाती है और दातों में संक्रमण बढते हैं।

6. जिंजिवाइटिस संक्रामक रोग है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि यदि कोई संक्रमित व्यक्ति को एक बार चूमे तो यह संक्रमण आदमी में प्रवेश करेगा। संक्रमण फैलने का खतरा व्यक्ति के स्वास्‍थ्‍य पर निभर्र करता है। यदि आदमी की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत है तब यह संक्रमण फैलने का खतरा कम होता है। लेकिन जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है उनमें यह संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है। कभी-कभी यह संक्रमण आदमी में अपने-आप हो जाता है। जिसका मतलब यह है कि आदमी खुद इस संक्रमण से प्रभावित नहीं है लेकिन बैक्टीरिया के फैलने का कारण बनता है।

7. मुंह की उचित तरीके से साफ सफाई रखकर जिंजिवाइटिस के खतरे से बचा जा सकता है। दांतों का नियमित चेकअप कराकर  इस संक्रमण से बचा जा सकता है। किसी दूसरे से खाना बांटने और किसिंग के बाद दांतों की उचित तरीके से सफाई और ब्रश करने से कोई भी इस संक्रमण के फैलने की संभावना को कम कर सकता है। यदि मसूडों में संक्रमण के कोई लक्षण दिखाई दें, जैसे – मसूडों से खून बहना या मसूडों में दर्द होना, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कीजिए। दांतों की तुरंत देखभाल करके इस संक्रमण को प्रारंभिक स्टेज में ही रोका जा सकता है।

......... ये जानकारी आप को कैसी. लगी कृपया comment कर के बतायें।अगर आपके कोई सावल या सुझाव हो तो भी जरूर बताएं।

डेंटल एंज़ाइटी और फोबिया क्या है

डेंटल एंज़ाइटी और फोबिया क्या है

★★★ कुछ लोग दांतों की जांच के लिए डर की वजह से दंत चिकित्सक के पास नहीं जाते, जबकि अधिकतर दंत प्रक्रिया में दर्द नहीं होता। हालांकि दांतों की जांच के दौरान लोगों को थोड़ा कष्ट हो सकता है। दंत चिकित्सक के पास जाने की चिंता या कष्ट ठीक है। लेकिन अगर आपकी दंत समस्या गंभीर है तो बिना किसी डेंटल अपोइनमेंट को टाले दांतों की जांच के लिए जाना चाहिए यह सामान्य नहीं हो सकता। एक इंसान जिसे डेंटल फोबिया है, वह डेंटल जांच को जाने को टालने के लिए कुछ भी कर सकता है, जैसे मसूड़ों में संक्रमण के दौरान दर्द को सहन कराना आदि।

डेंटल एंक्सेटी और फोबिया दोनों ही बहुत ज्यादा समान है लेकिन वास्तव में दोनों एक नहीं हैं। कई बार जिन लोगों को डेंटल फोबिया होता है वो कभी भी डॉक्टर के पास नहीं जा सकते हैं।  जिसको डेंटल एंक्सेटी और फोबिया है, उनको मसूड़ों और दांतों के रोग होने की ज्यादा खतरा हो सकता है। समय से पहले दांतों का गिरना, गंदे और खराब दांत, मुंह की कम सफाई इंसान को आत्म सचेत और असुरक्षित बना सकती है। डेंटल एंक्सेटी और फोबिया दोनों का ही अन्य मानसिक विकार की तरह बहुत ज्यादा ट्रिटमेंट कराना पड़ता है।

★★★ डेंटल एंज़ाइटी और फोबिया के कारण

1. डेंटल एंक्सेटी और फोबिया के कई कारण है लेकिन उनमें कुछ कारण समान हैं।
2. दर्द का डर विशेषकर किसी दर्दभरे अनुभव के बाद
3. डेंटल चेयर पर उपचार के दौरान हेल्पलेस महसूस करना और नियंत्रण खो देना।
4. खुले मुंह में व्याकुलता, विशेषकर जब दांतों की सफाई कम हो और अगर कोई व्यक्ति अपने दांतों की उपस्थिती के बारे में सचेत है।

★★★ लक्षण

इसके कोई विशेष लक्षण नहीं है जो फोबिया को सामान्य एंक्सेटी से अलग करते हैं। आमतौर पर दांतों की चेकअप डर से भरी हुई नहीं होनी चाहिए। अगर आपको यह है तो आपको डेंटल एंक्सेटी या फोबिया हो सकता है। डेंटल फोबिया के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं-
1. दांतो की जांच के बिना आपकों रात में सोने से दिक्कत होती हो
2. आप डॉक्टर के वेटिंग रूम में चिंतित या घबराएं हुए हैं।
3. दांतों की जांच के लिए जाना आपको बिमार कर देती है।
4. दांतों की जांच के दौरान दर्द होना और अचानक आपको सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।

★★★ ट्रिटमेंट और कोपिंग के तरिके

1. अपने दंत चिकित्सक से वार्तालाप उस दंत चिकित्सक के पास जांए जिससे आपको सहज महसुस होता हो, जो आपकी बात सुनता हो, जो आपकी बातों को समझे और जो आपको प्रयाप्त समय दें। अपने डॉक्टर को अपने कंसर्न और डर के बारे में बताएँ। अधिकतर दंत प्रक्रियांए बिना किसी दर्द के संपन्न हो सकती हैं।
2. अगर आप अपने उपचार के लिए अपने दंत चिकित्सक से सक्रिय रूप से प्लानिंग कर रहे है तो यह आपको कम चिंता महसूस करने और कंट्रोंल फील करने में सहायता करेगा।
3. प्रक्रिया को समझना चाहिए और और अगर ट्रिटमेंट एक बैठक में अधिक बैठकों की बजाय हो सकती हैं। यह पता करें कि प्रक्रिया के दौरान हर एक स्टेज पर क्या होगा, जो कि अपने आपको उसके लिए तैयार करने में सहायता होगी और तुम्हें किसी प्रकार का आश्चर्य नहीं होगा।
4. अगर आप दर्द को लेकर चिंतित हैं तो अपने दंत चिकित्सक को बोले, कई प्रकार कि दर्द निवारक मौजूद हैं और जो कि आपके लिए बेहतर होगा।
5. अपनी एंक्सेटी को कम करने के लिए ट्रिटमेंट के दौरान अपने डॉक्टर से पुछों की ट्रिटमेंट की हर एक स्टेज के दौरान क्या होगा।
आप अपने दंत चिकित्सक से ट्रिटमेंट कुछ देर के लिए रोकने के लिए कह सकते हैं अगर आपको ज्यादा डर लग रहा है। कभी भी किसी प्रकार से डॉक्टर से अपने किसी डर के बारे में डिसक्श करने में ना हिचकिचायें। अगर आपका डॉक्टर आपका अच्छे से ध्यान रखता है तो डॉक्टर आपकी समस्या को अच्छे तरीके से समझ सकेगा।

★★★ व्याकुलता

आप अपनी चिंता को दंत प्रक्रिया के दौरान कम करने की कोशिश कर सकते हैं किसी विशेष प्रकार की चीज में व्यस्त होकर जो आपको ज्यादा अच्छा लगे जैसे म्यूजिक सुनना और टिवी देखना।

★★★ दर्द नियंत्रण

दर्द का डर विशेषकर किसी दर्दभरे अनुभव के बाद एंक्सेटी या फोबिया के लिए एक मेजर कारण हो सकता है। आज के समय में कई इलाज और तकनीक हैं जो कि दर्द को किसी विशेष प्रकार के प्रक्रिया के दौरान कम कर सकती हैं। अगर आप दर्द को लेकर चिंतित हैं तो आप अपने दंत चिकित्सक से

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स्‍वस्‍थ मसूड़ों के लिए खतरा है धूम्रपान

स्‍वस्‍थ मसूड़ों के लिए खतरा है धूम्रपान


★★★ धूम्रपान : मसूड़ों के लिए बहुत हीं खतरनाक -
क्या आपको  पता है की जब भी आप सिगरेट  पीने के लिए माचिस की तीली या लाइटर  जलाते हैं तो यह आपके मसूड़ों को कितना नुकसान पहुंचाता है?  सिगरेट या सिगार पीना मसूड़ों, मुँह, गले एवं दाँतों के लिए बहुत हीं खतरनाक है एवं इससे कैंसर होने का पूरा खतरा रहता है।  लेकिन अगर आप शराब भी  पीते हैं  और सिगरेट  भी तो आपको मुँह या गले का कैंसर (मौखिक कैंसर) होने की  पूरी संभावना है।  

मौखिक कैंसर के अंतर्गत होंठों का (खासकर निचले होंठ  का ) कैंसर, गाल के अंदरूनी भाग का कैंसर,  गले के भीतर का कैंसर या टोंसिल्स का कैंसर शामिल हैं। स्त्रियों के मुकाबले पुरुषों में  मुख का कैंसर ज्यादातर पाया जाता है।  मुख के कैंसर का निदान बड़े मुश्किल से होता है।  ज्यादातर लोग मुख के कैंसर के बारे में जागरूक नहीं रहते न हीं शुरूआती  समय में उन्हें इसके लक्षण का  पता चलता है और जब तक उन्हें कुछ  पाता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।  अगर इसके प्रारंभिक अवस्था में इसके निदान के बारे में कुछ नहीं किया गया तो फिर सर्जरी या विकिरण चिकित्सा या रसायन चिकित्सा की जरूरत पड़ सकती है।

★★★ धुंआ बिलकुल नहीं फिर भी खतरा खूब -
क्या आपको  पता है की तम्बाकू  के प्रयोग से मुख का कैंसर होता है? सिगरेट या सिगार पीने से मौखिक कैंसर का खतरा तो होता हीं है, तम्बाकू  खाने या चबाने से भी मुँह का खतरा बहुत हीं रहता है।

तम्बाकू   चबाने (खाने) वाले अगर यह समझते हैं की वे धुआं  नहीं खीचते  हैं इसलिए उनको सिगरेट पीने वालों जितना खतरा नहीं है तो वे गलत सोचते हैं। तम्बाकू   में धुआं भले नहीं होता है लेकिन इससे मुँह के कैंसर का खतरा औरों से ५० गुना ज्यादा होता है। इसलिए सिगरेट या सिगार पीना या तम्बाकू  खाना या किसी तरह का तम्बाकू   सूंघना  छोड़िये  ताकि आप कैंसर जैसी   खतरनाक  बीमारी से बच सकें। अगर किसी व्यक्ति को कई सालों से तम्बाकू   चबाने की लत है और वह इस आदत को छोड़ देता है तो कुछ सालों में उसे कैंसर होने का खतरा काफी घट जाता है। शराब और तम्बाकू   दोनों के हीं प्रयोग से कैंसर हो सकता है।

★★★ मौखिक कैंसर: संकेत एवं लक्षण -
ज्यादातर  लोग या तो मुख कैंसर के संकेतों को समझ नहीं पाते या फिर वे सब कुछ समझते हुए भी कैंसर के लक्षणों की उपेक्षा करते हैं। इसलिए ऐसे कैंसर तब पकड़ में आते हैं जब वे उग्र रूप धारण कर चुके होते हैं। भले हीं आपको कैंसर के लक्षणों की जानकारी हो फिर भी कई बार आप इसे प्रारंभिक अवस्था में पकड़ नहीं पाते। इसलिए अगर आप तम्बाकू   चबाते हैं तो आपकी भलाई इसी में है की अपने दन्त चिकित्सक या डॉक्टर से नियमित रूप से मिलते रहें और अपने मुख एवं दांतों की जांच करवाते रहें।

★★★ आपके डॉक्टर कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों को पकड़ सकते हैं। -
1. यदि आप निम्नलिखित किसी भी लक्षण को देखें तो तुरंत  अपने  दंत चिकित्सक से परामर्श लें
2. मसूड़ों, होंठ या गाल पर कोई घाव या पैच या गांठ दिखे जो ठीक होने का नाम हीं न ले रहा हो या जीभ से खून बहता हो
3. मुँह में सनसनी या सुन्नता हो
4. भोजन निगलने में या चबाने पर दर्द या कठिनाई होती हो
5. आपके गले में किसी  गाँठ के होने कि अनुभूति  हो लेकिन उसके कारण का कुछ  पता न चल पा रहा हो
6. जबड़ों में किसी तरह का सूजन हो जिसकी वजह से देन्चर्स ठीक से फिट नहीं हो पा रहे हों
7. आपकी आवाज बदल गई हो या स्वर बैठ गया हो
8. तीन ऐसे कारण जिनकी  वजह से आप डेंटिस्ट से अवश्य  मिलें
9. अगर आपको यह बताया गया है कि आपको मौखिक कैंसर है तो इलाज शुरू होने के दो सप्ताह पहले अपने दांतों का पूरी तरह चेक अप करवा लें।
10. आप अपने डेंटिस्ट को अपनी समस्या के बारे में बताएं तथा अपने उस डॉक्टर का फोन नम्बर दे दें जिसके पास आपके मुख के कैंसर का इलाज चल रहा है ताकि दोनों डॉक्टर एक दूसरे से फोन पर आपकी समस्या और प्रोग्रेस पर बात करके आपका उचित इलाज कर सकें।

वयस्क और फ्लोराइड

 वयस्क और फ्लोराइड



★★★ क्या वयस्क  फ्लोराइड से लाभ उठा सकते हैं?


नए अध्ययन के अनुसार फ्लोराइड से सभी लाभ उठा सकते हैं  ।   आरंभिक अध्ययन में यह माना जाता था कि फ्लोराइड उन्हीं दांतों को मजबूती प्रदान करते थे जो विकसित होते रहते थे  ।   लेकिन हाल के अनुसंधान से पता चलता है  कि सामयिक फ्लोराइड (यानि जो फ्लोराइड टूथपेस्ट,  कुल्ला करने के तरल पदार्थ में पाया जाता है) वह हर उम्र के लोगों के दांत को सड़ने से बचाता है  ।

1. आपको कैसे पता चले कि  आपको विशेष फ्लोराइड उपचार की जरूरत है या नहीं?
2. आपको कैसे पता चले कि  आपको पर्याप्त   फ्लोराइड  मिल रहा है या नहीं ?

वयस्कों और बच्चों, जिनके दांत स्वस्थ होते हैं, उनके दांतों में केविटिज होने का कम जोखिम होता है  । जो फ्लोराइडयुक्त पानी पीते हैं तथा रोजाना दो बार ब्रश करते हैं उनके दांत में भी केविटिज होने का कम जोखिम रहता है  ।

★★★ निम्नलिखित हालातों में आप  अपने दंत चिकित्सक से परामर्श लें :
1. दवाओ के प्रभाव से मुंह का सूखना
2. मसूड़ों का खिसकना
3. यदि आप ब्रसस या अन्य  ओर्थोदोंटिक पहनते हों
4. या गले या सर में विकिरण उपचार प्राप्त किये हों  ।

★★★ फ्लोराइड उपचार के कौन कौन से विभिन्न प्रकार हैं?

1. फ्लोराइड उपचार आपको आपके दंत चिकित्सक के कार्यालय में दिया जा सकता है या आपके  घर पर  ।
2. दंत चिकित्सक के कार्यालय में फ्लोराइड उपचार एक रंग, फोम या दांत वार्निश के रूप में दिया जाता है  ।
3. उपचार के बाद आपको ३० मिनट तक खाने पीने या  धूम्रपान  न करने की सलाह दी जाएगी  ।

★★★ घर पर फ्लोराइड उपचार:
आपको ( दंत चिकित्सक के निर्देश पर) फ्लोराइड जेल लगाने की सलाह दी जाएगी। भले हीं आपके दांतों के सड़ने का जोखिम कम हो, हर किसी को फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है  । यह दन्त   क्षय को रोकने में बहुत प्रभावकारी  है  ।
........ ये जानकारी आप को कैसी. लगी कृपया comment कर के बतायें।अगर आपके कोई सावल या सुझाव हो तो भी जरूर बताएं

मुंह के अंदरूनी तत्‍व

 


मुंह के अंदरूनी तत्‍व

★★★ अगर आप जानना चाहते हैं कि जब आपके दांत सड़ने लगते हैं, तो क्या होता है, तो सबसे पहले आपको ये जानना होगा कि आपके मुँह में क्या-क्या रहता है। कुदरती तौर पर आपके मुँह में जो तत्व मौजूद रहते हैं वे निम्नलिखित हैं:

★★ लार:
लार आपको मुँह की बीमारियों से बचाता है । यह आपके दांत और मुँह के अन्य उत्तकों (टिश्‍यूज़)को नम रखता है, उन्हें स्वस्थ रखता है एवं खाने के बाद जब किसी खाद्य पदार्थ का कोई टुकड़ा या कण आपके दांतों के बीच फंसा रह जाता है तो लार उन्हें निकालने में भी आपकी मदद करता है और तो और, लार आपको कुछेक वायरस एवं बैक्‍टीरिया से भी बचाव करता है। खाद्य पदार्थ के साथ अगर कोई वायरस या बैक्‍टीरिया आपके मुँह में चला जाता है तो लार उन्हें मुँह में हीं नष्ट कर देता है जिससे बैक्‍टीरिया जैसे सूक्ष्‍मजीवी पेट में नहीं पहुँच पाते ।

★★ प्‍लेक:
यह एक चिपचिपा पदार्थ होता है जिसका निर्माण तब होता है जब मुँह में मौजूद बैक्‍टीरिया, मुँह में पड़े खाद्य कणों एवं लार के साथ मिलकर दांतों की सतह पर जमने लगते हैं। प्‍लेक में (बैक्‍टीरिया,प्रोटोज़ोआ, माइकोप्‍लाज़माज़, यीस्‍ट) मौजूद होते हैं, जो प्राकृतिक रूप से मुँह में होते हैं। जैसे-जैसे बैक्‍टीरिया पनपते जाते है, वैसे-वैसे प्‍लेक बढ़ता जाता है। प्‍लेक का बनना तभी से शुरू हो जाता है जब आप सुबह ब्रश करते हैं। तकरीबन एक घंटे में ही यह कई गुणा बढ़ जाता है।

★★ कैलकलस:
अगर प्‍लेक को जल्द हीं नहीं हटाया गया तो यह कैलकलस को टारटार के रूप में परिवर्तित करने लगता है, जो सख्त होता है क्योंकि यह लार में से कैल्‍शीयम, फास्‍फोरस एवं अन्य खनिज पदार्थ को सोखता है। कैलकलस के ऊपर ज्यादा से ज्यादा प्‍लेक जमा होता जाता है जिसमें कैल्‍शीयम की मात्रा ज्यादा होती है।

★★ जीवाणु (बैक्‍टीरिया):
हमारे मुँह में हमेशा ही अलग-अलग तरह के बैक्‍टीरिया मौजूद रहते हैं। कुछ बैक्‍टीरिया अच्छे होते हैं तो कुछ बुरे। जो बैक्‍टीरिया मुंह के लिए अच्छे होते हैं, वो विनाशकारी  बैक्‍टीरिया को अपने नियंत्रण में रखता है। जो दांत कैरीज़ से ग्रस्त होते हैं, उसे स्‍ट्रैप्‍टोकोकस म्‍यूटैंस नामक बैक्‍टीरिया सबसे ज्यादा क्षति  पहुंचाता है।

★★ दांतों का क्षय कैसे होता है:

ऐसे खाद्य पदार्थ जो खाने के बाद दांतों से चिपके रह जाते हैं या जिनमे शक्कर  ज्यादा होती है, वे प्राकृतिक रूप से पहले से मुँह में मौजूद बैक्‍टीरिया के साथ मिलकर आपके मुँह में अम्ल का निर्माण करते हैं। खाना खाने के कुछ देर बाद तक आपका मुँह अम्लीय रहता है। यह अम्ल दांतों के ईनेमल को घिसने का काम करता है जिसके कारण कैविटी का निर्माण होता है।

सिर्फ मीठे खाद्य पदार्थ या आईसक्रीम खाने से ही कैरीज़ नहीं होते हैं। ऐसा कोई भी खाद्य पदार्थ, जिसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है (जैसे कूकीज, केक, साफ्ट ड्रिंक, केले, आलू के चिप्स इत्यादि) वह ग्‍लूकोज़ और फ्रक्‍टोज़ जैसे शुगर का निर्माण करता है। मुँह में मौजूद बैक्‍टीरिया इन शर्करा के साथ मिलकर अम्ल का निर्माण करता है। यह अम्ल दांतों के ईनेमल को (जो दांतों की रक्षा के लिए कवच का काम करता है) गलाता है। आप जितनी बार कुछ खाते हैं उतनी हीं बार आपके मुँह में मौजूद बैक्‍टीरिया अम्ल का निर्माण करते हैं। अतः इससे बचने हेतु हर समय कुछ न कुछ खाना बंद करें।

कैविटी का निर्माण तब ज्यादा बढ़ जाता है जब दांतों की सड़न दांतों को खोखला करती हुई दांत में भीतर तक गड्ढा बनाती  चली जाती है। कैरीज़ से बचा जा सकता है और यहाँ तक कि कैरीज़ को कैविटी बनने से पहले हीं, फ्लोराइड युक्त उत्पादों से ठीक भी किया जा सकता है ( जैसे फ्लोराइड युक्त टूथपेस्‍ट, फ्लोराइड रिंज़ेज़ इत्यादि)।

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भोजन जो रखे केविटी दूर

भोजन जो रखे केविटी दूर

★★★ दांत हैं तो सभी स्वाद हैं। दांतों को स्वस्थ रखने के लिए उनकी नियमित व उचित सफाई के साथ-साथ सही भोजन की भी जरूरत होती है। कुछ भोजन दांत को नुकसान पहुंचाते है, जबकि अन्य कई भोजन ऐसे है जो दांतों को स्वस्थ, मजबूत और केविटी से दूर रखने के लिए उपयोगी है।

अगर दांत केविटी फ्री चाहिए तो जीवनशैली में जरूरी बदलाव करने पड़ेंगे। स्टार्चयुक्त आहार से दूर रहना पड़ेगा, जंक फूड या तैलीय पदार्थ से दूरी बनानी पड़ेगी। कॉफी, चाय और एल्कोहल का सेवन भी सीमित करना होगा। कुकीज़ और कैंडी खानें में तो बहुत मजेदार लगती है। लेकिन यह दांतों में कैविटी होने के लिए बहुत ज्यादा जिम्मेदार है।

इसके अलावा अपने खान-पान में कुछ ऐसे भोज्यपदार्थ शामिल करें जो कि दांतों के लिए लाभकारी होते हैं। दांतों को स्वस्थ रखने के लिये ऐसा भोजन करना चाहिए जिसमें प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन बी और विटामिन सी पूरी मात्रा में हो। आइए हम आपको बताते है ऐसा ही कुछ भोजन जो आपको केविटी से दूर रखेगा।

★★★ भोजन जो रखे केविटी दूर

★★ कैल्शियम

दूध और दूध से बनी चीजें जैसे दूध‍, दही और पनीर सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी के बीज और हरी सब्जियों में कैल्शियम काफी मात्रा में होता है। खाने में विटामिन सी अवश्य शामिल करें। दांतों के लिए विटामिन सी होना आवश्यक है।

★★ फाइबर

उच्च फाइबर खाद्य पदार्थ खाने से मुंह में लार पूरी मात्रा में बनती है जो दांत को केविटी से बचानें में मदद करती है। किशमिश, अंजीर, केले, सेब और संतरे जैसे ताजे फल और सूखे फल फाइबर के अच्छे स्रोत हैं। अन्य स्रोत जैसे सेम, मूंगफली, बादाम, चोकर और मटर आदि शामिल हैं। इन्हें अपनी दिनचर्या में शमिल करें।

★★साबुत अनाज

साबुत अनाज में विटामिन बी और लौह तत्व प्रचुर मात्रा में होता हैं जो मसूड़ों को स्वस्थ रखने में और दांतों को केविटी से बचाने में मदद करता है। साबुत अनाज हड्डियों और दांतों के लिए मैग्नीशियम एक महत्वपूर्ण घटक है। साथ ही साबुत अनाज में फाइबर बहुत अधिक पाया जाता है, चोकर, ब्राउन राइस साबुत अनाज का अच्छा स्रोत है।

★★ अजवाइन

केविटी को दूर करने मे जो सबसे ज्यादा मददगार है वे है अजवाइन। अजवाइन को चबाने पर जो लार निकलती है वह मुंह में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को मारती है। अजवाइन का पानी आपके दांतो को बिल्कुल वैसा साफ कर देता है जैसे ब्रश से दांत साफ़ होते है।

★★ फल

फल भी केविटी से लड़ने में मदद करतें है आप ताजा फल केले, सेब, संतरे आदि को अपने दैनिक आहार शामिल करें। यह फ़ल आपकों दॉतो के रोगों से लडने में मदद करते है।

★★ कच्चे प्याज और मशरूम

अगर कच्चे प्याज या मशरूम खाने के लिए किसी को भी कहा जाए तो उसे अच्छा नही लगेंगा पर क्या आपको पता है ये दोनों दॉतो में केविटी को खत्म करने के लिए बहुत उपयोगी है। प्या‍ज बैक्टीरिया को खत्म करता है और मशरूम बैक्टीरिया बनाने से रोकता है।

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टेढ़े-मेढ़े दांतों से कैसे पाएं छुटकारा

टेढ़े-मेढ़े दांतों से कैसे पाएं छुटकारा

★★★ मुस्कुराता हुआ चेहरा किसे अच्छा नही लगता। लेकिन अच्छी मुस्कुराहट के लिए दांतों का खूबसूरत होना भी बेहद जरूरी है वरना मुस्कुराहट असरदार नहीं लगती। हंसते समय हमारे दांत बाहर आ जाते हैं और सबकी नजर उन पर पड़ती है ऐसे में अगर हमारे दांत टेढ़े-मेढ़े हो तो बुरा लगता हैं। यदि दांत टेढ़े-मेढ़े हैं तो अच्छे खासे चेहरे का सौंदर्य भी जाता रहता है।  

दांतों के टेढ़े-मेढ़े होने के कारण, बोलचाल के कुछ शब्द ऐसे है जिनका उच्चारण दांतों के सहारे होता है, में तो रुकावट आती ही है साथ ही खाने-चबाने में भी परेशानियां आती हैं। साथ ही अगर टेढ़े-मेढ़े दांतों में खाना फंस जाए तो दांत संबंधी अनेक बीमारियां भी हो सकती हैं। इसलिए टेढ़े-मेढ़े दांतो से छुटकारा पाना जरूरी है। आइए हम आपको बताते है, टेढ़े-मेढ़े दांतों से छुटकारा पाने के टिप्स लेकिन उससे पहले दांतों के टेढ़े-मेढ़े होने के कारण के बारें में जान लें।

★★★ टेढ़े-मेढ़े दांतों के कारण

★★ किसी बीमारी के कारण

1. बचपन में अंगूठा या अंगुली चूसने, जीभ चूसने, होठों को चूसने या काटने तथा नाखून काटने जैसी आदतों के कारण।
2. यदि दूध के दांत लंबे समय तक टिके रहते हैं तो स्‍थाई दांत निश्चित स्‍थान पर न उगकर इनके आसपास उगने से।                 

★★ टेढ़े-मेढ़े दांतों से बचाव

ऑथरेडोंटिक ट्रीटमेंट के द्वारा लें। दांतों में फिक्स्ड ब्रेसिज या स्पेशल तार लगाकर इन्हें सीधा किया जाता है। ज्यांदातर तार अस्थाई तौर पर लगाए जाते हैं परन्तु कई बार तार स्थाई तौर पर भी लगाए जाते हैं। इन तारों से दांतों पर दबाव डाला जाता है जिससे कि दांत सही जगह पर व्यवस्थित हो जाएं। इस आर्थोडोन्टिक्स के इलाज के बाद मरीज को च्वुइंगम, टॉफी और चाकलेट जैसी चीजें नहीं खानी चाहिएं तथा मीठे और ज्यादा ठंडे खाद्य पदार्थों का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।

1. टेढ़े-मेढ़े दांतों का इलाज वैसे तो किसी भी आयु में किया जाता है लेकिन इसका इलाज जितना जल्दी हो उतना अच्छा होता है क्योंकि कम उम्र में जबड़े मुलायम रहते हैं जिससे परिणाम जल्दी और ज्यादा अच्छे मिलते हैं। टेढ़े-मेढ़ेपन से बचाव की कुछ ओर बातें भी हैं जिन पर ध्यान दिया जाना जरूरी हैं।
2. आप अपने बच्चे को हर छःमहीने के बाद डैंटिस्ट के पास लेकर जायें ताकि वह उनकी आदतें जैसे कि अंगूठा चूसना, जींभ से बार बार अपने ऊपरी दांतों को धकेलना, दांतों से होंठ अथवा गाल काटते रहना आदि आदतें जो दांतों को टेढ़ा-मेढा करती हैं,को नोटिस करें और आदतों से मुक्ति दिलाने में मदद करें।
3. अगर किसी बच्चे में मुंह से सांस लेने की आदत है तो भी इस आदत को दूर किया जाना चाहिए, क्योंकि इस आदत की वजह से ऊपर वाले आगे के दांत बाहर की तरफ़ आने लगते हैं।
4. अगर देखें कि बच्चे के दूध वाले दांत तो गिरे नहीं हैं, उन के पास ही गलत जगह पर पक्के दांत निकलने लगे हैं। ऐसे में आप बच्चे को डैंटिस्ट के पास ले जाकर दूध के दांत निकलवाएगें नहीं तो पक्के दांत किसी ओर जगह पर अपनी जगह बना लेंगे।
5. कुछ लोग ऐसा सोचते है कि जब तक दूध के पूरे दांत गिर नहीं जायें तब तक किसी डैंटिस्ट के पास जाकर टेढ़े-मेढ़े दांतों के बारे में बात करने का कोई फायदा नहीं है। यह बिल्कुल गलत हैं। आप नियमित रूप से हर छःमहीने बाद बच्चों को डैंटिस्ट के पास जा कर दांत चैक करवाते रहें। अगर कुछ प्रॉबल्म होगी तो वह साथ-साथ ठीक होती रहेगी।

6. टेढ़े-मेढ़े दांतों का ट्रीटमेंट करकें उन्हें ऐसे ही नही छोड़ना चाहिए क्योंकि इसके बाद भी इनके सरकने और टेढ़े-मेढ़े होने की संभावना बनी रहती है। इसलिए यह जरूरी है कि ट्रीटमेंट खत्म होने के बाद भी कुछ समय तक डॉक्टर से सलाह लेते रहें।

........ ये जानकारी आप को कैसी. लगी कृपया comment कर के बतायें।अगर आपके कोई सावल या सुझाव हो तो भी जरूर बताएं